वित्त मंत्रालय ने 29 सितंबर को घोषणा की कि CBDT ने 2024‑25 आयकर वर्ष के लिए टैक्स ऑडिट रिपोर्ट की फाइलिंग डेडलाइन 30 सितंबर से बढ़ाकर 7 अक्टूबर 2024 कर दी है। यह कदम इलेक्ट्रॉनिक सबमिशन की तकनीकी समस्याओं को देखते हुए लिया गया है। साथ ही कॉर्पोरेट और ऑडिट वाले टैक्सपेयर्स के लिए ITR फाइलिंग की अंतिम तिथि 15 नवंबर तक बढ़ा दी गई है। विस्तार से पढ़ें कि किन वर्गों को यह राहत मिलेगी और क्या नए नियम हैं।
टैक्स ऑडिट क्या है? आसान भाषा में समझें
अगर आप अपना व्यापार या फ्रीलांस काम कर रहे हैं, तो कभी-कभी आयकर विभाग आपसे टैक्स ऑडिट की माँग कर सकता है। टैक्स ऑडिट मतलब क्या? सरल शब्दों में, यह आपके वित्तीय रिकॉर्ड की जाँच है कि सब कुछ सही लिखा है या नहीं। टैक्स रिटर्न में दी गई जानकारी को सत्यापित करने के लिए विभाग की टीम आपके बही‑खाता, इनवॉइस और बैंक स्टेटमेंट देखती है।
कब होता है टैक्स ऑडिट?
ऑडिट के दो मुख्य कारण हैं – एक तो कानून में तय सीमा से अधिक टर्नओवर हो, तो टैक्स विभाग को स्वचालित रूप से ऑडिट करना पड़ता है। दूसरा, अगर रिटर्न में बड़े‑बड़े बदलाव या असामान्य लेन‑देन् दिखें, तो विभाग सवाल उठाकर ऑडिट शुरू कर सकता है। अक्सर 2 करोड़ रुपये से ऊपर टर्नओवर वाले व्यापारियों को ऑडिट का सामना करना पड़ता है, पर छोटे व्यापारियों के साथ भी अगर कोई विशेष इनकम या खर्चा दिखे तो चेक हो सकता है।
ऑडिट की प्रक्रिया और क्या करें?
ऑडिट शुरू होने पर विभाग नोटीस भेजता है। नोटीस में आपको निर्धारित समय में सभी जरूरी दस्तावेज़ सबमिट करने होते हैं। यहाँ कुछ जरूरी कदम हैं:
- सभी लेन‑देन् की सही कॉपी रखें – इनवॉइस, रसीद, बैंक स्टेटमेंट, चालान।
- बही‑खाता या सॉफ़्टवेयर में दर्ज सभी एंट्रीज़ को फिर से चेक करें।
- यदि कोई गलती मिले तो तुरंत सुधारें और सही रिटर्न फाइल करें।
- कर सलाहकार या चार्टर्ड अकाउंटेंट की मदद लें, ताकि सब कुछ सही हो।
ऑडिट के दौरान आपसे पूछे गए सवालों के जवाब साफ़‑साफ़ दें। देर‑से‑देरी या गड़बड़ी से जुर्माना या टैक्स बकाया बढ़ सकता है। इसलिए समय पर सब दस्तावेज़ तैयार रखें।
ऑडिट से बचने के लिए सबसे बड़ा तरीका है – नियमित रूप से सही रिकॉर्ड रखें और रिटर्न में छुपे‑छुपे चीज़ें न रखें। अगर आपका टर्नओवर सीमा से नीचे है, तो भी साल‑दर‑साल सही बही‑खाता रखना फायदेमंद है। छोटी‑छोटी खर्चों को भी पहचानें, क्योंकि ये बाद में टैक्स बचत में काम आते हैं।
एक और टिप – वैध टैक्स छूट और डिडक्शन का फायदा उठाएँ। गृह ऋण इंटरेस्ट, पेंशन फंड, मेडिकल इंश्योरेंस आदि के लिए रसीद रखें। अगर ऑडिट में ये दिखेंगे, तो विभाग को दिखाने में आसानी होगी और दंड कम होगा।
ऑडिट खत्म होने पर विभाग आपको एक रिपोर्ट देगा। अगर सब सही पायी गई, तो आपको कोई पेनाल्टी नहीं मिलेगी, बस रिफंड या टैक्स क्लियरेंस मिल जाएगी। अगर कुछ गलत पाया गया, तो सुधार के साथ अतिरिक्त टैक्स, इंटरेस्ट और पेनेल्टी भी लग सकती है।
अंत में, टैक्स ऑडिट कोई अनजानी चीज़ नहीं है, बस एक औपचारिक जाँच है जो आपके वित्तीय व्यवहार को साफ़‑सुथरा बनाती है। सही दस्तावेज़, समय पर तैयारी और प्रोफेशनल मदद से आप इसे आसान बना सकते हैं। अगर आपके पास कोई सवाल है या ऑडिट नोटिस मिला है, तो तुरंत कर विशेषज्ञ से संपर्क करें और परेशानियों से बचें।