डेडलाइन विस्तार का कारण और पृष्ठभूमि
वित्त मंत्रालय ने 29 सितंबर को एक बयान जारी किया, जिसमें बताया गया कि CBDT ने आयकर अधिनियम, 1961 के तहत इलेक्ट्रॉनिक ऑडिट रिपोर्ट जमा करने में आ रही कठिनाइयों को दूर करने के लिए समय सीमा बढ़ा दी है। मूल रूप से 30 सितम्बर 2024 को समाप्त होने वाली अवधि को 7 अक्टूबर 2024 तक बढ़ा दिया गया है। यह बदलाव विशेष रूप से उन करदाताओं के लिये है जो धारा 139(1) की उपधारा (a) के अनुसार रिपोर्ट दाखिल करने वाले हैं।
पिछले कुछ हफ्तों में कई टैक्स प्रोफेशनल्स और ट्रेड एसोसिएशन्स ने पोर्टल में ग्लिच, फॉर्म अपडेट में देरी और यूटिलिटी रिलीज में समस्याओं की शिकायत की थी। ऐसे तकनीकी गड़बड़ी के चलते कई छोटे‑मध्यम उद्यमों (SMEs) और बड़े कॉर्पोरेट्स को समय पर रिपोर्ट जमा करने में दिक्कत हुई। इसलिए, यह विस्तार न केवल राहत प्रदान करता है, बल्कि टैक्स अनुपालन की गुणवत्ता भी बढ़ाने में मदद करेगा।

टैक्सपेयरों के लिये क्या बदलाव?
डेडलाइन में बदलाव से कौन‑कौन लाभान्वित होगा, इसे समझना जरूरी है। मुख्य रूप से निम्नलिखित वर्ग शामिल हैं:
- विधि अनुसार वार्षिक स्टैट्यूटरी ऑडिट करवाने वाले सभी कंपनियां और LLPs।
- सैकड़ों छोटे व्यवसाय जो आयकर रिटर्न के साथ ऑडिट रिपोर्ट भी दायर करते हैं।
- व्यक्तियों में वो लोग जिनकी आय आयकर अधिनियम की धारा 44AB के तहत ऑडिट के दायरे में आती है।
- प्रोफेशनल टैक्स एजेंट और CA जो क्लाइंट्स की रिपोर्ट तैयार करके पोर्टल पर अपलोड करते हैं।
इसके अलावा, आयकर विभाग ने कॉरपोरेट और ऑडिट वाले देनदारों के लिए ITR फाइल करने की अंतिम तिथि भी 31 अक्टूबर से बढ़ाकर 15 नवंबर 2024 कर दी है। इसका मतलब है कि अब टैक्सपेयर को ऑडिट रिपोर्ट जमा करने के बाद ITR फाइल करने में पर्याप्त समय मिलेगा, जिससे जल्दबाजी में त्रुटियों की संभावना कम हो जाएगी।
यदि आप इस अवधि में रिपोर्ट फाइल करने की योजना बना रहे हैं, तो कुछ आसान कदम अपनाएं:
- आवश्यक फॉर्म्स (जैसे 3CA/3CB) को आधिकारिक पोर्टल से पहले ही डाउनलोड कर लें।
- आवश्यक डिजिटल सिग्नेचर या ई‑प्रमाणपत्र की वैधता जांचें।
- फाइलिंग से पहले पोर्टल के टेस्ट मोड में अपलोड करके संभावित त्रुटियों को पहचानें।
- सभी दस्तावेज़ों की प्रमाणित कॉपी और स्वाक्षरित निबंध को सुरक्षित रखें, क्योंकि आगे की जांच में ये जरूरी हो सकते हैं।
इन सुझावों को अपनाने से न केवल फाइलिंग प्रक्रिया सुगम होगी, बल्कि आपको संभावित दंड या नोटिस से भी बचाएगी। अंत में यह कहा जा सकता है कि CBDT का यह कदम टैक्सपेयरों के लिये एक सकारात्मक परिवर्तन है, जो तकनीकी बाधाओं को कम करके अनुपालन को आसान बना रहा है।