CBDT ने आयकर वर्ष 2025-26 के लिए ITR दाखिल करने की आखिरी तिथि को 31 जुलाई से बढ़ाकर 15‑16 सितंबर तय की। फॉर्म में बड़े बदलाव और सिस्टम अपडेट की वजह से समय नहीं मिल पाया था। अब 6 करोड़ से अधिक रिटर्न पहले ही दाखिल हो चुके हैं। देर से दाखिला करने पर 1 000‑5 000 रुपये का जुर्माना और कुछ टैक्स लाभ खोने का जोखिम है। 31 दिसंबर तक बिलोरेट रिटर्न दाखिल कर सकते हैं, लेकिन दंड लागू रहेगा।
ITR दाखिल करने की आखिरी तिथि – क्या है असली डेडलाइन?
जब आप ITR दाखिल करने की आखिरी तिथि के बारे में सोचते हैं, तो सबसे पहले ITR दाखिल करने की आखिरी तिथि, वित्तीय वर्ष के बाद आने वाले अससमेंट इयर में आयकर रिटर्न जमा करने की अंतिम तिथि. इसे अक्सर टैक्स डेडलाइन कहा जाता है, क्योंकि इस तारीख तक रिटर्न नहीं फाइल करने पर जुर्माना लग सकता है। यही कारण है कि करदाता को इस तिथि को समझना और सही समय पर e‑Filing करना बेहद ज़रूरी है।
ITR दाखिल करने की आखिरी तिथि का सीधा असर आयकर रिटर्न, व्यक्तियों और कंपनियों द्वारा आय, बचत, निवेश और टैक्स देनदारियों की घोषणा पर पड़ता है। यदि रिटर्न समय पर जमा नहीं किया, तो सरकार जुर्माना (आमतौर पर ₹5,000 से शुरू) और ब्याज लगा सकती है। यही कारण है कि टैक्स डेडलाइन, आयकर रिटर्न और वैट/जीएसटी जैसे करों की नियत जमा तिथि को याद रखना जरूरी है।
आपके पास दो मुख्य विकल्प हैं: पारम्परिक फॉर्म भर कर ऑफिस में जमा करना या इलेक्ट्रॉनिक फाइलिंग (e‑Filing), आयकर पोर्टल या वैध टॉक्स सॉफ्टवेयर के माध्यम से ऑनलाइन रिटर्न जमा करना. e‑Filing में कई फ़ायदे हैं – तुरंत रसीद, रिफंड में तेज़ी, और कम-से-कम त्रुटियों की संभावना। साथ ही आयकर पोर्टल (www.incometax.gov.in) पर लॉग‑इन करके आप अपने फॉर्म 102, 104 आदि चुन सकते हैं और डॉक्यूमेंट अपलोड कर सकते हैं।
मुख्य बातें जो हर करदाता को पता होनी चाहिए
पहला, अससमेंट इयर हमेशा वित्तीय वर्ष के बाद का साल होता है, इसलिए 2024‑25 आयकर वर्ष की फाइलिंग 31 जुलाई, 2025 तक होनी चाहिए। दूसरा, यदि आप आयकर पोर्टल, आधिकारिक ऑनलाइन पोर्टल जहाँ e‑Filing, रिटर्न статус चेक और रिफंड ट्रैक किया जाता है पर साइन‑अप करते हैं, तो आपको रिटर्न जमा करने के बाद आवेदन सं. (ARN) मिल जाता है, जिससे आप रिटर्न की प्रॉसेसिंग स्टेटस देख सकते हैं। तीसरा, यदि आप टैक्स में देरी के कारण जुर्माना से बचना चाहते हैं, तो डेडलाइन से पहले प्री‑व्यू और वैलिडेशन चेक कर लें; इससे फॉर्म में त्रुटियों की संभावना घटती है।
ध्यान दें, कुछ मामलों में सरकार एक्सटेंशन देती है – जैसे कि वित्तीय वर्ष में प्राकृतिक आपदा या तकनीकी समस्या होने पर आयकर विभाग से विस्तारित तिथि की घोषणा की जा सकती है। लेकिन यह एक्सटेंशन स्वाभाविक नहीं है; इसलिए हमेशा आधिकारिक नोटिफिकेशन पर भरोसा रखें। इसके अलावा, यदि आप विभिन्न आय स्रोत (जैसे फ्रीलांस, शेयर ट्रेडिंग, रेंट) के साथ फाइल कर रहे हैं, तो रिटर्न में सभी स्रोत साफ‑साफ दर्शाने चाहिए, वर्ना इन्कॉररेक्ट वॉरनिंग या पुनः आकलन का जोखिम बढ़ता है।
एक बार ITR दाखिल हो जाने पर, रिफंड प्रक्रिया भी शुरू होती है। अधिकांश रिफंड सीधे आपके बैंक खाते में दो-तीन हफ़्तों में ट्रांसफ़र हो जाते हैं, बशर्ते आपका बैंक अकाउंट रिटर्न में सही से लिंक हो। यदि रिफंड देर से आता है, तो आप आयकर पोर्टल पर रिफंड स्थिति, बैंक अकाउंट या चेक के माध्यम से रिफंड प्राप्त करने की प्रगति की जांच देख सकते हैं।
संक्षेप में, ITR दाखिल करने की आखिरी तिथि को याद रखना, सही फॉर्म चुनना, और आयकर पोर्टल पर समय पर e‑Filing करना आपका सबसे सुरक्षित रास्ता है। नीचे की सूची में हमने इस टैग से जुड़े कई लेख एकत्र किए हैं – इनमें डेडलाइन विस्तार, दंड से बचने के टिप्स, फॉर्म‑फ़िलिंग गाइड और रिफंड ट्रैकिंग के आसान उपाय शामिल हैं। पढ़ते रहें और अपने टैक्स को बगैर झंझट के क्लियर करें।