अग॰, 13 2024
आरजी कर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल का इस्तीफा
आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के प्रिंसिपल, डॉ. संदीप घोष ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। यह इस्तीफा 9 अगस्त 2024 को ड्यूटी पर तैनात एक जूनियर डॉक्टर की कथित दुष्कर्म और हत्या के मामले में लगातार चल रहे विरोध प्रदर्शनों और न्याय की मांग के चलते हुआ है। कॉलेज में इस घटना के बाद से ही गुस्सा और आक्रोश का माहौल है, जिनकी झलक सोशल मीडिया और सड़कों पर भी दिखाई दे रही है।
प्रधानमंत्री ममता बनर्जी की प्रतिक्रिया
इस घटना की गूंज पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तक भी पहुंची है। ममता बनर्जी ने पीड़ित परिवार से मुलाकात की और उन्हें भरोसा दिलाया कि यदि वे चाहते हैं तो मामले की जांच किसी केंद्रीय एजेंसी से करा सकते हैं। इससे पहले मामले से जुड़े कई लोगों की पुलिस ने पूछताछ की है। मुख्यमंत्री के इस सुझाव के पीछे इस मामले पर उभर रहा भारी जन आक्रोश हो सकता है, जो पूरे देश में फैल रहा है।
डॉ. संदीप घोष का बयान
डॉ. संदीप घोष ने अपने त्यागपत्र में सोशल मीडिया पर डाले गए निंदनीय पोस्ट्स और भविष्य में होने वाली घटनाओं की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने लिखा कि उनके लिए ऐसे माहौल में नौकरी करना मुमकिन नहीं है जब उनके खिलाफ इस प्रकार के आरोप लगाए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस घटना के बाद उनके ऊपर काफी दबाव था और यह सामूहिक रोष भी एक बड़ा कारण रहा।
डॉक्टरों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल
फेडरेशन ऑफ रेसिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (FORDA) ने 12 अगस्त 2024 को पूरे देश में हड़ताल की घोषणा की है। FORDA के अध्यक्ष डॉ. अविरल माथुर ने बताया कि यह हड़ताल तब तक जारी रहेगी जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं। प्रमुख मांगों में इस मामले की सीबीआई जांच, फास्ट-ट्रैक कोर्ट का गठन और सभी अस्पतालों में केंद्रीय संरक्षण अधिनियम का पालन शामिल है।
देशभर में हड़ताल
इस हड़ताल को समर्थन देने वाले डॉक्टरों की संख्या लगभग 3 लाख बताई जा रही है, जो अपने-अपने शहरों और अस्पतालों में जुटे हुए हैं। जैसे कि दिल्ली के लोक नायक अस्पताल और डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल के बाहर भी डॉक्टर न्याय की मांग करते नजर आए।
महिला सुरक्षा पर सवाल
डॉक्टरों के इस विरोध प्रदर्शन में सबसे ज्यादा जोर महिला मेडिकल कर्मियों की सुरक्षा पर दिया गया है। यह घटना महिलाओं की सुरक्षा के सवाल को एक बार फिर केंद्र में ला खड़ा करती है। इस केस को निर्भया मामले से भी जोड़ा जा रहा है, जहां महिलाओं के प्रति अपराध के खिलाफ कड़े कदम उठाने की मांग की जा रही है।
इस पूरे मामले ने एक बार फिर अस्पतालों और कार्यस्थलों पर महिला सुरक्षा के मुद्दे को उजागर किया है। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि अस्पतालों में सुरक्षा व्यवस्था को दुरुस्त किया जाए और ऐसे कड़े कदम उठाए जाएं जिससे भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो सके।
पुलिस की जांच
कोलकाता पुलिस ने इस मामले में तीन जूनियर डॉक्टरों और एक हाउस स्टाफ को पूछताछ के लिए बुलाया है। यह जांच इस मामले में न्याय पाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
यह घटना और उसके बाद की घटनाएं दर्शाती हैं कि भारत में महिलाओं की सुरक्षा का मुद्दा अभी भी कितना गंभीर है। चिकित्सकीय क्षेत्र में महिलाओं को सुरक्षित वातावरण मिलना चाहिए और इसके लिए सभी स्तरों पर ठोस कदम उठाए जाने चाहिए।