सित॰, 6 2024
ओमर अब्दुल्ला का बड़ा आरोप: स्वतंत्र उम्मीदवार उतारने से उनकी आवाज को दबाने की साजिश
नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के वरिष्ठ नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री, ओमर अब्दुल्ला ने एक बार फिर केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। यह आरोप उन्होंने आगामी चुनावों के मद्देनजर लगाए हैं। उनका कहना है कि बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार उनके खिलाफ स्वतंत्र उम्मीदवार उतारकर उन्हें चुप कराने की कोशिश कर रही है।
ओमर ने शुक्रवार, 6 सितंबर 2024 को यह बयान दिया था, जिसमें उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाया कि वह अपनी राजनीतिक चालों के माध्यम से उनके राजनीतिक प्रभाव को कम करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार स्वतंत्र उम्मीदवारों का समर्थन कर रही है ताकि उनके वोट प्रतिशत को विभाजित किया जा सके और उनकी जीत की संभावना को कम किया जा सके। उनके अनुसार, यह सब एक व्यापक योजना का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य उनकी आवाज को दबाना और उनकी राजनीतिक उपस्थिति को कमजोर करना है।
बीजेपी पर लोकतांत्रिक मूल्यों के विरुद्ध कार्यवाही का आरोप
ओमर अब्दुल्ला ने यह भी दावा किया कि बीजेपी की यह रणनीति पूरी तरह से अलोकतांत्रिक है। उन्होंने कहा कि इस तरह की गतिविधियाँ हमारे लोकतंत्र के मूल्यों के प्रतिकूल हैं और विपक्षी दलों की आवाज को दबाने के समान हैं। उनके अनुसार, यह एक खतरनाक प्रवृत्ति है जो देश की राजनीतिक प्रणाली को नुकसान पहुंचा सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि जिस तरह बीजेपी विभिन्न राज्यों में इस तरह की रणनीतियाँ अपनाकर विपक्ष को कमजोर कर रही है, वह लोकतंत्र के लिए खतरनाक संकेत है।
ओमर का कहना है कि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है। पिछले चुनावों में भी उन्होंने महसूस किया था कि इसी प्रकार की रणनीति अपनाई जा रही थी। लेकिन इस बार यह बड़ी स्पष्टता के साथ सामने आ रही है। उन्होंने कहा कि इस बार विपक्षी दलों को अधिक सतर्क रहना होगा और उन्हें मिलकर लड़ना होगा ताकि इस तरह की चालों को नाकाम किया जा सके।
बीजेपी का उत्तर
बीजेपी की ओर से इन आरोपों का क्या उत्तर दिया जाएगा, यह देखने की बात है। लेकिन इस प्रकार के आरोप हमारी राजनीति में नए नहीं हैं। अक्सर यह देखा जाता है कि चुनावों के समय इस तरह के आरोप-प्रत्यारोप होते रहते हैं। लेकिन ओमर अब्दुल्ला के इन आरोपों ने एक बार फिर इस मुद्दे को चर्चा का विषय बना दिया है।
हालांकि, संवेदनशील मुद्दों को उठाने और सरकार की नीतियों पर तीखी आलोचना करने में अब्दुल्ला का पुराना रुतबा है। वह हमेशा अपने बेबाक बयानों और स्पष्ट दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं। लेकिन इस बार उनका आरोप एक नई तरीके से सरकार के सामने चुनौतियाँ प्रस्तुत कर रहा है।
ओमर अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि जनता को इस मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए और समझना चाहिए कि किस तरीके से लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला किया जा रहा है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे इन खेलों के पीछे के मंशा को समझें और ऐसी राजनीति का विरोध करें जो लोकतंत्र के मूल्यों के खिलाफ हो।
सीधे शब्दों में कहें तो...
इस मुद्दे का एक और पहलू यह है कि यह आरोप केवल बीजेपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस के बीच संघर्ष का भाग नहीं है, बल्कि यह हमारे पूरे राजनीतिक ढांचे पर सवाल खड़ा करता है। यह समय की मांग है कि हम अपने राजनीतिक नेताओं से जवाबदारी मांगें और इसे सुनिश्चित करें कि वे लोकतंत्र की मूल भावनाओं का सम्मान करें। ओमर अब्दुल्ला के यह आरोप निश्चित रूप से इस चुनावी मौसम में एक महत्वपूर्ण मुद्दा बने रहेंगे और हमें देखना होगा कि आगे की राजनीतिक घटनाएँ कैसे मोड़ लेती हैं।