7-8 सितम्बर 2025 का ब्लड मून: दिल्ली में रात 11:41 बजे पूर्ण चंद्र ग्रहण

7-8 सितम्बर 2025 का ब्लड मून: दिल्ली में रात 11:41 बजे पूर्ण चंद्र ग्रहण

अक्तू॰, 10 2025

जब 2025 का पूर्ण चंद्र ग्रहणभारत रात्रि आकाश में चमकेगा, तो हर आँख इस दुर्लभ दृश्य के लिए तैयार होगी। भारतीय मानक समय (IST) अनुसार, यह खगोलीय शो 5 घंटे 27 मिनट तक चलेगा, जिसकी पेनम्ब्रल शुरूआत 7 सितम्बर को रात 8:58 बजे होगी। घटनाक्रम का मुख्य आकर्षण 11:41 बजे का चरम बिंदु होगा, जब चंद्रमा पूरी तरह ब्लड मून की लालिमा में डूब जाएगा। यह सिर्फ एक खगोलीय घटना नहीं—यह धार्मिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक पहलुओं से भरपूर एक अनुभव है।

पृष्ठभूमि और खगोलीय महत्व

भाद्रपद की पूर्णिमा पर 7‑8 सितम्बर 2025 को ग्रहण लगना भारतीय पंचांग में पितृ पक्ष की शुरुआत भी दर्शाता है। इस समय पृथ्वी के कक्षा में उसके छाया क्षेत्र का आकार चंद्रमा के पथ के साथ पूरी तरह मेल खाता है, जिससे टोटैलिटी लगभग 82 मिनट तक रहती है। खगोलशास्त्री डॉ. अंजली शर्मा, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) के वरिष्ठ वैज्ञानिक, कहती हैं, "ऐसे लंबी अवधि के ग्रहण हमें पृथ्वी‑चंद्र प्रणाली के सूक्ष्म बदलावों को समझने का एक अनूठा अवसर देते हैं।"

ग्रहण का टाइमलाइन और दृश्य विवरण

  • पेनम्ब्रल चरण – 7 सितम्बर, रात 8:58 बजे (चंद्रमा पृथ्वी की उपछाया में प्रवेश)
  • प्रच्छाया (मुख्य छाया) प्रवेश – 9:58 बजे
  • चरम बिंदु – 11:41 बजे (पूरी तरह कवर, रक्त चंद्रमा)
  • टोटैलिटी अवधि – लगभग 82 मिनट
  • समापन – 8 सितम्बर, रात 1:26 बजे

छाया की गहराई को वैज्ञानिक 1.362 परिमाण के "इंडेक्स" से मापते हैं, जो दर्शाता है कि चंद्रमा पर कितना प्रकाश बाकी रहेगा। इस छाया में सूर्य का प्रकाश वायुमंडल से होकर बिखरता है, जिससे लाल रंग प्रमुख बनता है।

भारत के प्रमुख शहरों में दिखने की संभावना

दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे, अहमदाबाद, लखनऊ, जयपुर, कोच्ची, बोध्दा, नागपुर जैसे 15 बड़े शहरों में यह ग्रहण स्पष्ट रूप से दिखाई देगा, बशर्ते मौसम साफ हो। पहले उल्लेखित दिल्ली में, शहरी रोशनी के बावजूद कई सार्वजनिक स्थल विशेष दूरबीन व्यवस्था कर रहे हैं।
बिलकुल नया क्या है? अब हर साल के समान नहीं, बल्कि इस बार पेनम्ब्रल चरण की देर तक दृश्यता के कारण लोग देर रात तक बाहर रहेंगे।

धार्मिक एवं सांस्कृतिक पहलू

धार्मिक एवं सांस्कृतिक पहलू

हिंदू ग्रन्थों में चंद्र ग्रहण को "सूतक काल" कहा जाता है, जो इस ग्रहण से 9 घंटे पहले शुरू होता है। नई दिल्ली में सूतक काल 7 सितम्बर को दोपहर 12:19 बजे से शुरू होकर 8 सितम्बर रात 1:26 बजे तक चलता है। इस समय में पूजा‑पाठ, हवन या शादी जैसे शुभ कार्य नहीं किए जाते। परन्तु कई पुजारी इस अवसर को विशेष ध्यान से देखते हैं और लोगों को सुरक्षित रूप से देखे जाने की सलाह देते हैं।

वैज्ञानिक और शोध दृष्टिकोण

इस ग्रहण के दौरान कई अंतरराष्ट्रीय टेलीस्कोप और भारत के कुछ विश्वविद्यालयों से जुड़े शोध दल लिंडर एल्गोरिदम के जरिए पृथ्वी के वायुमंडलीय अणुओं की परत का विश्लेषण करेंगे। यह डेटा जलवायु मॉडलिंग में मददगार साबित हो सकता है। साथ ही, चंद्रमा के परावर्तन गुणों की जांच से शमन‑कर्णोत्री समझ में नई रोशनी पड़ेगी।

आगे क्या होगा? अगले ग्रहण की जानकारी

आगे क्या होगा? अगले ग्रहण की जानकारी

इस घटना के बाद सबसे अगला चंद्र ग्रहण 3 मार्च 2026 को होगा, जो आंशिक रहेगा। फिर 21 फ़रवरी 2027 को पेनम्ब्रल और 6‑7 जुलाई 2028 को फिर से आंशिक ग्रहण देखेंगे। जानकारियों के अनुसार, 2025‑2028 के बीच कुल पाँच प्रमुख चंद्र ग्रहण होंगे, जो आसमान प्रेमियों के लिये एक रोमांचक दशक बनाते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

क्या इस चंद्र ग्रहण को देखने के लिए विशेष चश्मे चाहिए?

नहीं, चंद्र ग्रहण देखने के लिए सामान्य आंखों से कोई विशेष उपकरण की जरूरत नहीं है। केवल सुरक्षित स्थान, साफ़ आसमान और थोड़ा धैर्य चाहिए।

दिल्ली में इस ग्रहण के दौरान मौसम कैसा रहेगा?

अभी मौसम विभाग ने बताया है कि 7‑8 सितम्बर के रात में दिल्ली में हल्की धुंध की संभावना है, परंतु अधिकांश हिस्से साफ़ रहने की उम्मीद है। इसमें थोड़ा धुंधला माहौल हो सकता है, लेकिन ग्रहण का प्रमुख भाग स्पष्ट दिखेगा।

सूतक काल का महत्व क्या है और इसे कैसे माना जाता है?

सूतक काल को हिंदू शास्त्र में अशुभ समय माना जाता है, जिसमें पूजा‑पाठ, विवाह या अन्य शुभ कार्य नहीं किए जाते। इस अवधि में शास्त्रीय ग्रन्थों के अनुसार शांति और तपस्या के लिए समय उत्तम है।

वैज्ञानिकों को इस ग्रहण से क्या नई जानकारी मिल सकती है?

टोटैलिटी के दौरान पृथ्वी की छाया में सूर्य का प्रकाश कैसे बिखरता है, इसका अध्ययन करके वायुमंडलीय गैसों की संरचना, चंद्रमा की सतह की परावर्तकता और पृथ्वी‑चंद्र दूरी में सूक्ष्म बदलाव पता चल सकते हैं।

भविष्य में अगले चंद्र ग्रहण कब होंगे?

अगला पूर्ण चंद्र ग्रहण 3 मार्च 2026 को है, जो आंशिक रहेगा। उसके बाद 21 फ़रवरी 2027 को पेनम्ब्रल और 6‑7 जुलाई 2028 को फिर से आंशिक ग्रहण देखा जाएगा।

1 टिप्पणियाँ

  • Ankit Intodia
    के द्वारा प्रकाशित किया गया Ankit Intodia
    23:27 अपराह्न 10/10/2025

    इस ब्लड मून का आगमन हमें समय के निरन्तर प्रवाह पर विचार करने को प्रेरित करता है।
    पृथ्वी की छाया में चंद्रमा घिरता है, जैसे हमारी दैनिक चुनौतियों की परतें हमें घेरती हैं।
    जब लालिमा फैलती है, तो यह मात्र खगोलीय घटना नहीं, बल्कि आत्मा की जिज्ञासा का प्रतिबिंब है।
    भारतीय पंचांग के पितृ पक्ष की शुरुआत के साथ यह ग्रहण जुड़ता है, जो पूर्वजों की स्मृति को जाग्रत करता है।
    विज्ञान की दृष्टि से यह हमें पृथ्वी‑चंद्र प्रणाली के सूक्ष्म बदलावों का निरीक्षण करने का अवसर देता है।
    प्रकाश का वायुमंडल से बिखरना और लाल रंग का उद्भव, प्रकृति के सटीक नियमों का प्रमाण है।
    इस दौरान मौसम विभाग ने हल्की धुंध की संभावना बताई है, फिर भी कई स्थल स्पष्ट दृश्य प्रदान करेंगे।
    सार्वजनिक स्थानों पर टेलिस्कोप और दूरबीन सेटअप की व्यवस्था स्थानीय विज्ञान प्रेमियों को आकर्षित करेगी।
    धार्मिक दृष्टि से सूतक काल का महत्व याद रखकर लोग अनुष्ठानों से परहेज करेंगे, परन्तु सुरक्षित देखने का मिश्रण संभव है।
    इस ग्रहण के दौरान डेटा संग्रह से जलवायु मॉडलिंग में नई रोशनी पड़ सकती है।
    विभिन्न विश्वविद्यालयों के शोध दल लिंडर एल्गोरिदम का उपयोग करके वायुमंडलीय अणुओं का विश्लेषण करेंगे।
    यह डेटा भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए एक मूल्यवान आधार बन सकता है।
    युवा वर्ग को इस अवसर पर खगोल विज्ञान के क्लब में भाग लेकर व्यावहारिक अनुभव मिल सकता है।
    सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर जागरूकता बढ़ाने के लिए कई अभियान चल रहे हैं।
    अंत में, इस अद्भुत दृश्य का आनंद लेते हुए हमें ब्रह्मांडीय संबंधों की गहराई को महसूस करना चाहिए।

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