SRH बनाम GT के हाई वोल्टेज मुकाबले में वाशिंगटन सुंदर का विवादित आउट
IPL 2025 में 6 अप्रैल को खेले गए सनराइजर्स हैदराबाद (SRH) और गुजरात टाइटंस (GT) के मुकाबले में ऐसा नज़ारा देखने को मिला, जिसने पूरी क्रिकेट दुनिया को चर्चा में डाल दिया। बात है वाशिंगटन सुंदर की, जो अपने अर्धशतक से महज एक रन दूर खड़े थे—49 रन पर। मोहम्मद शमी की गेंद पर उन्होंने शॉर्ट लेंथ बॉल को कवर की दिशा में मारा, जहां अनिकेत वर्मा ने डाइव लगाकर शानदार कैच पकड़ा। मैदान पर खड़े अंपायरों को कैच पर शक हुआ, इसलिए मामला तीसरे अंपायर तक पहुंचा।
अब असली ड्रामा यहीं शुरू हुआ। स्लो मोशन रिप्ले में साफ दिख रहा था कि गेंद ज़मीन को छू गई थी, लेकिन तीसरे अंपायर ने बड़ी स्क्रीन पर लंबी चर्चा के बाद सुंदर को आउट करार दे दिया। जैसे ही तीसरे अंपायर का फैसला आया, स्टेडियम में मौजूद फैन्स से लेकर टीवी स्क्रीन पर मैच देख रहे करोड़ों दर्शक भड़क उठे। ट्विटर, इंस्टाग्राम और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर #JusticeForWashington ट्रेंड करने लगा।
इस फैसले ने सिर्फ एक खिलाड़ी का अर्धशतक छीना, बल्कि GT की बैटिंग के मोमेंटम पर भी बड़ा असर डाला। कई पूर्व क्रिकेटर और विशेषज्ञ भी इस निर्णय से नाखुश नजर आए। कमेंटेटरों ने बार-बार रिप्ले की स्लो फुटेज दिखाकर बताया कि कैच पूरी तरह क्लीन नहीं था।
फैसले के बाद सोशल मीडिया पर बवाल और मैच की तस्वीर
सुंदर के विवादित आउट के बाद सोशल मीडिया पर गुस्से की लहर दौड़ गई। फैंस ने तीसरे अंपायर की निष्पक्षता और IPL 2025 में टेक्नोलॉजी की सटीकता पर सवाल उठाए। कई दिग्गजों ने कहा कि इतने बड़े टूर्नामेंट में इस तरह की गलतियां मैच का रुख बदल सकती हैं। वायरल क्लिप्स, मीम्स और गुस्सैल पोस्ट्स मिनटों में इंटरनेट पर छा गए।
इसी बीच मैच का रोमांच भी जारी रहा। गुजरात टाइटंस के शुबमन गिल ने शानदार फिफ्टी जड़ी, जबकि मोहम्मद सिराज ने 4 विकेट लेकर गेंदबाजों का नेतृत्व किया। आखिरकार GT ने यह मुकाबला सात विकेट से अपने नाम कर लिया। पर मैच से ज्यादा चर्चा सुंदर की ‘छिनी हुई फिफ्टी’ और तकनीकी अंपायरिंग के स्तर पर हो रही है।
यह घटना एक बार फिर दिखाती है कि हाई-स्टेक्स T20 लीग में टेक्नोलॉजी भरोसेमंद है या नहीं, इसपर अभी और काम की जरूरत है। ऐसे में खेल प्रेमियों के मन में ये सवाल पैदा होना लाज़िमी है कि क्या तीसरे अंपायर का फैसला वाकई अंतिम और गलतियों से परे है या नहीं।
भाई ये तीसरा अंपायर कौन है? क्या उसकी आंखें बैटल ऑफ़ फ्रेंड्स के एपिसोड में लगी हुई हैं? गेंद ज़मीन को छू रही थी, और वो स्लो मोशन में भी नहीं देख पा रहा? ये टेक्नोलॉजी बनी हुई है या सिर्फ डिज़ाइन के लिए बनाई गई है? मैंने तो अपने बच्चे के फोन पर भी इतना क्लियर देख लिया है। ये IPL अब क्रिकेट नहीं, एक रियलिटी शो बन गया है जहां फैसले टीवी स्टूडियो में बनते हैं, मैदान में नहीं।
ये सब फैसले अंपायरों के लिए नहीं बल्कि बिजनेस के लिए होते हैं जिससे एड्स और ट्रेंड्स चलें और स्पॉन्सर्स को पैसे मिलें। वाशिंगटन सुंदर को आउट करके ट्रेंड बनाया गया। जब तक आप बड़े बिजनेस के सामने नहीं आते तब तक आपकी फिफ्टी बस एक गलती होती है।
ये तीसरा अंपायर तो बस एक नौकरशाह है जिसने अपनी नौकरी बचाने के लिए गलत फैसला दिया। इस तरह के लोगों को बाहर निकाल दिया जाना चाहिए। ये IPL अब क्रिकेट नहीं, एक धोखा है। अगर ये फैसला सही है तो मैं क्रिकेट छोड़ दूंगी।
हमारे देश की तरफ से यह घटना अत्यंत दुखद है। एक भारतीय खिलाड़ी को अनुचित ढंग से आउट कर दिया गया, और यह तकनीकी अंपायरिंग जो हमने देखी, वह अंतरराष्ट्रीय मानकों के बिल्कुल विपरीत है। यह एक अपमान है, और इसके लिए एक आधिकारिक खेद प्रकट करना अनिवार्य है। हमारी टीम को इस तरह के अन्याय से बचाने के लिए एक राष्ट्रीय आंदोलन शुरू किया जाना चाहिए।
क्या हम वाकई यह सोच रहे हैं कि तकनीक हमेशा सही होती है? या हम बस उस पर भरोसा करने का आसान रास्ता चुन रहे हैं? क्योंकि अगर गेंद ज़मीन को छू रही थी, तो क्या यह फैसला वास्तव में तकनीकी त्रुटि थी? या यह एक गहरी संस्कृतिगत त्रुटि है - हम जब तक किसी चीज़ को देख नहीं लेते, तब तक उसका अस्तित्व मानने से इंकार कर देते हैं? शायद यह एक दर्शन है: हम अपने भावनात्मक निर्णयों को तकनीक के नाम पर छिपा रहे हैं।
इस फैसले के बाद लोगों का गुस्सा समझ में आता है, लेकिन अगर हम इसे एक बड़े चित्र के रूप में देखें तो यह बताता है कि हम अभी भी टेक्नोलॉजी के साथ अपने रिश्ते को समझ रहे हैं। क्रिकेट एक खेल है, और खेल में भावनाएं होती हैं। लेकिन ये त्रुटि एक सीख भी है - अगर हम अंपायरिंग को बेहतर बनाना चाहते हैं, तो बस तकनीक को बढ़ाना नहीं, बल्कि उसके साथ इंसानी निर्णय का संतुलन भी बनाना होगा।
भाई ये तो बस एक गलती है, अब इसे बड़ा मुद्दा बना रहे हो। वाशिंगटन तो अभी भी खेल रहा है, और उसके लिए अगला मैच आ रहा है। इस तरह के फैसलों के बाद भी खिलाड़ी आगे बढ़ते हैं। तुम भी अपना गुस्सा छोड़ दो, और अगले मैच में उसके लिए जोर लगाओ। क्रिकेट तो जीवन है, और जीवन में गलतियां होती हैं।
तीसरा अंपायर बस एक लालची आदमी है जिसे अपनी नौकरी बचानी है और उसने जानबूझकर गलत फैसला दिया। क्योंकि अगर वो सुंदर को नॉट आउट कर देता तो फिर वो लोग उसे बर्खास्त कर देते। ये सब बस एक बड़ा अंधेरा अभियान है जिसमें खिलाड़ी बलि के रूप में चढ़ाए जाते हैं। ये खेल नहीं, एक धोखा है।
भाई बस एक फिफ्टी नहीं गई बल्कि एक दिल टूट गया। पर वाशिंगटन अभी भी जीत रहा है। ये गलती नहीं, एक टेस्ट है। अगला मैच उसके लिए बड़ा मौका है। आओ उसके लिए दुआ करें। 💪❤️
ये सब तैयारी से हुआ है। जानबूझकर।
क्या आपने कभी सोचा है कि अगर यह फैसला सही होता तो क्या आप इतना गुस्सा करते? शायद हम अपने भावनात्मक निर्णयों को तकनीकी त्रुटि के नाम पर छिपा रहे हैं। एक अंपायर की गलती को एक बड़े षड्यंत्र में बदलना, शायद हमारी अपनी नाराजगी का एक अच्छा तरीका है।
एक खिलाड़ी की फिफ्टी छिन जाना एक व्यक्तिगत दुख है, लेकिन इसके पीछे एक बड़ा सवाल छिपा है - क्या हम खेल की भावना को बरकरार रख सकते हैं, जब हम तकनीक के आधार पर जीत और हार तय कर रहे हैं? क्या हम इस तरह के फैसलों को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं? या हम अपने भावनात्मक जुड़ाव को बरकरार रखने के लिए तकनीक को एक निर्दोष बलि बना रहे हैं?
मैं तो ये सोचती हूँ कि अगर ये फैसला सही नहीं हुआ तो इसका मतलब ये नहीं कि तकनीक खराब है, बल्कि इसका मतलब है कि हमने तकनीक को बहुत ज्यादा भरोसा कर दिया है। जब तक हम इंसानी निर्णय को तकनीक के ऊपर नहीं रखेंगे, तब तक ऐसी गलतियां होती रहेंगी। और हाँ, वाशिंगटन सुंदर की फिफ्टी छिन गई, लेकिन उसकी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई।
तीसरा अंपायर एक बेवकूफ है, और IPL एक बड़ा धोखा है। इन लोगों को बर्खास्त कर देना चाहिए। अगर ये फैसला फिर से होता है तो मैं टीवी बंद कर दूंगी। ये खेल नहीं, एक बाजार का नाटक है।