बाबू जगजीवन राम की 117वीं जयंती पर देशभर में आयोजित किए गए विशेष कार्यक्रम

बाबू जगजीवन राम की 117वीं जयंती पर देशभर में आयोजित किए गए विशेष कार्यक्रम

अप्रैल, 5 2025

देशभर में जगजीवन राम की विरासत का उत्सव

भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी और सामाजिक सुधारक बाबू जगजीवन राम की 117वीं जयंती के अवसर पर देश के विभिन्न हिस्सों में श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किए गए। खासकर हैदराबाद और मैसूर में यह उत्सव देखने को मिला। हैदराबाद के तेलंगाना भवन में एक विशेष सभा का आयोजन किया गया, जिसमें कई वरिष्ठ नेता जैसे कि माधु सुधन चारी और एर्रोला श्रीनिवास शामिल हुए। उन्होंने बाबू जगजीवन राम के राष्ट्रीय महत्व पर जोर दिया और उनकी मृत्यु के बाद उन्हें भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग दोहराई।

बाबू जगजीवन राम न केवल एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे, बल्कि वे देश के वंचित वर्गों के लिए आवाज उठाने वाले भी थे। उन्होंने 'ऑल इंडिया डिप्रेस्ड क्लासेज लीग' की स्थापना की थी, जो समाज के उस वर्ग की आवाज बनी। हैदराबाद विश्वविद्यालय में भी उनके सम्मान में फूल अर्पण किए गए और उनके सामाजिक सुधार कार्यों की सराहना की गई।

समाज के वंचित वर्गों के लिए संघर्ष का समर्थन

समाज के वंचित वर्गों के लिए संघर्ष का समर्थन

मैसूर में भी जिला प्रशासन ने बाबू जगजीवन राम की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। यह केवल एक श्रद्धांजलि समारोह नहीं था, बल्कि समाज के दलित समुदाय के खिलाफ होने वाले अन्याय और भेदभाव के खिलाफ एक सशक्त आवाज भी था। वक्ताओं ने समता और समानता की दिशा में बाबू जगजीवन राम के प्रयासों को अपनाने की जरूरत पर चर्चा की और वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में दलित और अनुसूचित जाति/जनजाति समुदाय की उपेक्षा को उजागर किया।

इन कार्यक्रमों में जगजीवन राम की प्रारंभिक जीवन की कहानियाँ, खासकर छुआछूत के खिलाफ उनके संघर्ष और उनके साहसी नेतृत्व के बारे में चर्चा की गई। उनके जन्मदिवस पर समाज ने एक बार फिर उनके उत्कृष्ट योगदान और प्रेरणादायक जीवन को याद किया।

12 टिप्पणियाँ

  • Roshni Angom
    के द्वारा प्रकाशित किया गया Roshni Angom
    03:26 पूर्वाह्न 04/ 6/2025
    बाबू जगजीवन राम ने जो किया, वो केवल भाषा या स्मारक नहीं... वो एक जीवन शैली थी। उन्होंने छुआछूत के खिलाफ लड़ाई को एक धार्मिक कर्तव्य बना दिया। आज भी, जब कोई दलित बच्चा स्कूल जाता है, तो उसकी इज्जत का आधार उनके संघर्ष पर बना है। उनकी याद बस फूल अर्पित करके नहीं, बल्कि हर दिन अन्याय के खिलाफ खड़े होकर याद की जानी चाहिए।
  • vicky palani
    के द्वारा प्रकाशित किया गया vicky palani
    09:01 पूर्वाह्न 04/ 6/2025
    ये सब बकवास है। बाबू जी का नाम लेकर कौन सा राजनेता अपनी लोकप्रियता बढ़ाता है? उनकी याद में फूल चढ़ाना तो बहुत अच्छा है... पर अगर आपके घर में दलित नौकर को अलग बर्तन में खाना खिलाया जाता है, तो आपका ये स्मारक बस एक नाटक है।
  • jijo joseph
    के द्वारा प्रकाशित किया गया jijo joseph
    08:41 पूर्वाह्न 04/ 7/2025
    इंटरवेंशनल सोशल जस्टिस फ्रेमवर्क के अनुसार, जगजीवन राम की एजेंसी एक प्रोटो-डेमोक्रेटिक एक्टिविज्म का उदाहरण है। उनकी संस्थाएं न केवल एक विकल्प थीं, बल्कि एक नए सामाजिक कॉन्ट्रैक्ट का निर्माण कर रही थीं। आज के राजनीतिक अर्थव्यवस्था में ये एक रेफरेंस पॉइंट है।
  • Manvika Gupta
    के द्वारा प्रकाशित किया गया Manvika Gupta
    15:39 अपराह्न 04/ 7/2025
    मैं रो रही हूँ... उन्होंने जितना दुख झेला, उतना कोई नहीं झेला... आज भी जब मैं बाजार में जाती हूँ, तो लगता है जैसे कोई मुझे छुआछूत का निशान देख रहा है... उनकी याद दिल तोड़ देती है।
  • leo kaesar
    के द्वारा प्रकाशित किया गया leo kaesar
    12:23 अपराह्न 04/ 9/2025
    बाबू जी को भारत रत्न मिला तो क्या? अब भी दलितों को अस्पताल में अलग बेड मिलता है। ये सब नाटक है।
  • Ajay Chauhan
    के द्वारा प्रकाशित किया गया Ajay Chauhan
    11:11 पूर्वाह्न 04/11/2025
    अरे भाई, ये सब तो पार्टी वाले लोग बना लेते हैं। बाबू जी तो बहुत बड़े थे, पर आज के युवा को इन बातों से क्या लेना देना? बॉलीवुड का नया फिल्म देखो वरना।
  • Taran Arora
    के द्वारा प्रकाशित किया गया Taran Arora
    07:31 पूर्वाह्न 04/13/2025
    दोस्तों, बाबू जी ने बस एक आदमी के रूप में नहीं, एक आत्मा के रूप में लड़ाई लड़ी। उनकी आत्मा अभी भी हर उस बच्चे में जीवित है जो अपने सपनों के लिए लड़ रहा है। उनके नाम पर नहीं, उनके सपनों पर चलो।
  • Atul Panchal
    के द्वारा प्रकाशित किया गया Atul Panchal
    21:53 अपराह्न 04/14/2025
    ये सब बाहरी देशों के दबाव में हो रहा है। बाबू जी को भारत रत्न देने की बात तो अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने वालों के लिए नहीं थी। ये नए इतिहास लिख रहे हैं। भारत की असली विरासत को नहीं समझ रहे।
  • Shubh Sawant
    के द्वारा प्रकाशित किया गया Shubh Sawant
    12:59 अपराह्न 04/15/2025
    अरे भाई, बाबू जी के बिना हमारा भारत अधूरा था। उन्होंने जो बनाया, वो अभी भी हमारी रूह है। आज भी जब कोई बच्चा अपने घर से बाहर निकलता है, तो उसकी आजादी उनके लिए है।
  • Patel Sonu
    के द्वारा प्रकाशित किया गया Patel Sonu
    15:22 अपराह्न 04/15/2025
    मैंने अपने गाँव में देखा है, जहाँ बाबू जी के नाम पर स्कूल बना है, वहाँ बच्चे अब बिना डर के पढ़ रहे हैं। ये उनकी विरासत है। बस एक फूल चढ़ाने से ज्यादा कुछ है।
  • Puneet Khushwani
    के द्वारा प्रकाशित किया गया Puneet Khushwani
    21:51 अपराह्न 04/16/2025
    ये सब बकवास है। किसी की जयंती पर फूल चढ़ाना और बोलना तो आसान है। असली बात तो ये है कि आज के दलित बच्चे को एक अच्छी नौकरी मिले या नहीं।
  • Adarsh Kumar
    के द्वारा प्रकाशित किया गया Adarsh Kumar
    09:41 पूर्वाह्न 04/17/2025
    बाबू जी को भारत रत्न मिला तो क्या? आज के राजनेता उनके नाम पर बैठे हैं, लेकिन उनकी विरासत को तोड़ रहे हैं। ये सब एक बड़ा कॉन्सपिरेसी है। अंग्रेजों ने उन्हें बनाया, अब वो उनके नाम से भारत को तोड़ रहे हैं।

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