26 सितंबर 2025 को भारतीय शेयर बाजार में Sensex ने 800 अंकों से अधिक की गिरावट दर्ज की, जबकि Nifty 24,700 के नीचे गिरा। चार मुख्य कारकों – अमेरिकी टैरिफ, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों का निकास, रुपए का निरंतर दबाव और आर्थिक मंदी के डर – ने इस तेज़ धकेल को प्रेरित किया। सभी सेक्टर लाल बैंड में बंद हुए, जिससे निवेशकों की पूंजी पर भारी चोट लगी।
Sensex गिरावट – बाजार की ताज़ा तस्वीर
जब बात Sensex गिरावट की आती है, तो कई निवेशकों के मन में तुरंत सवाल उठते हैं – क्या नया ट्रेंड है, कौन से कारक पीछे हैं और इस स्थिति में क्या करना चाहिए? जब हम इस शब्द को परिभाषित करते हैं, तो Sensex गिरावट, भारतीय शेयर बाजार के प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स में लगातार कीमतों का नीचे जाना को समझते हैं। इसका मतलब है कि बड़ी कंपनियों के शेयरों की औसत कीमत घट रही है, जिससे कुल बाजार मूल्य दबाव में है।
यह गिरावट अकेले नहीं होती; इसका संबंध कई अन्य इकाइयों से है। उदाहरण के तौर पर सेंसेक्स, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का मुख्य सूचकांक, जो 30 प्रमुख कंपनियों को ट्रैक करता है सीधे इस प्रवृत्ति को दर्शाता है। साथ ही निफ्टी, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख सूचकांक, जो 50 बड़ी कंपनियों को समेटता है भी अक्सर समान दिशा में चलता है, क्योंकि दोनों सूचकांक एक ही आर्थिक माहौल को प्रतिबिंबित करते हैं। अंत में शेयर बाजार, सभी सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों का समुच्चय, जहाँ निवेशकों की खरीद‑बेच की गतिविधियां होती हैं की समग्र अस्थिरता Sensex गिरावट को तेज़ करती है।
कैसे बनते हैं Sensex गिरावट के कारण
पहला कारण अक्सर आर्थिक अनिश्चितता होता है। जब वैश्विक बाजारों में उतार‑चढ़ाव, जैसे डॉव जोन्स या नैस्डैक में बदलाव, भारतीय निवेशकों को हिचकिचा देते हैं। दूसरा प्रमुख कारण मौसमी रिवर्सल है – यानी आर्थिक डेटा जैसे जीडीपी, मुद्रास्फीति या बैंकरों की ब्याज दर निर्णयों में बदलाव। तीसरा कारण कंपनी‑स्तरीय खबरें, जैसे लाभ में गिरावट, प्रबंधन बदलना या बड़े निवेशकों की निकासी। ये सब मिलकर सेंसेक्स और निफ्टी को नीचे ले जाते हैं, और अंततः Sensex गिरावट की दिशा बनती है।
इन कारणों के बीच स्पष्ट संबंध है: आर्थिक अनिश्चितता Sensex गिरावट को तेज़ करती है, जबकि कंपनी‑स्तर की खबरें इस गिरावट को गहरा बनाती हैं। इसी तरह, वैश्विक बाजार रुझान सेंसेक्स और निफ्टी दोनों पर समान असर डालते हैं, जिससे शेयर बाजार का समग्र मूड बदल जाता है।
इन जटिल लिंक को समझना निवेशकों को सक्रिय रणनीति अपनाने में मदद करता है। कई बार, गिरावट की अवधि में सुरक्षा वाले सेक्टर जैसे फ़ार्मास्यूटिकल या यूटीलीटीज़ में पूंजी डालना समझदारी माना जाता है। अन्य निवेशक डेल्टा-हेजिंग या ऑप्शन ट्रेडिंग के ज़रिए जोखिम को सीमित करने की कोशिश करते हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि गिरावट को सिर्फ डर के कारण नहीं, बल्कि अवसर की तरह देखा जाए, जहाँ सही कदम उठाने से पोर्टफ़ोलियो को नुकसान से बचाया जा सकता है।
अब आप जानते हैं कि Sensex गिरावट क्या है, कौन‑से प्रमुख संकेतक इसमें भाग लेते हैं, और कौन‑से उपाय अपनाए जा सकते हैं। नीचे आने वाली लेखों में हम विस्तृत रूप से विश्लेषण करेंगे कि इस महीने के मार्केट मूवमेंट ने कौन‑से सेक्टर को प्रभावित किया, किस कंपनी के स्टॉक ने सबसे अधिक गिरावट दर्ज की, और अगले सप्ताह के लिए संभावित समर्थन स्तर कौन‑से हो सकते हैं। तैयार हो जाइए, क्योंकि आगे की पढ़ाई में आपको ठोस डेटा और वास्तविक टिप्स मिलेंगे जो आपके निवेश निर्णयों को तेज़ करेंगे।