Sensex में 800 अंक की घातक गिरावट: टैरिफ, FPI निकास और रूबल अवमूल्यन के चार कारण

Sensex में 800 अंक की घातक गिरावट: टैरिफ, FPI निकास और रूबल अवमूल्यन के चार कारण

सित॰, 27 2025

26 सितंबर 2025 को भारतीय शेयर बाजार ने एक गंभीर गिरावट देखी, जिसमें Sensex गिरावट 800 अंकों से अधिक थी और Nifty ने 24,700 की महत्वपूर्ण सीमा को तोड़ दिया। यह कमी केवल एक दिन की नहीं, बल्कि लगातार छठे सत्र में बेंचमार्क सूचकांकों पर होने वाला नुकसान था। सभी प्रमुख सेक्टर लाल बैंड में बंद हुए, जिससे बाजार में अवरोध की स्थिति और गहरी हो गई।

मुख्य कारण: चार बवण्डर फ़ैक्टर

कुल मिलाकर चार बड़े कारक इस डॉउनटर्न के लिए ज़िम्मेवार ठहराए जा रहे हैं।

  • टैरिफ तनाव का पुनर्जन्म: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कुछ आयात वस्तुओं पर 100% टैरिफ लगाने की घोषणा की, जिससे वैश्विक व्यापारिक तनाव फिर से भड़क गया। इस कदम ने उभरते बाजारों, विशेषकर भारत को कड़ी कसौटी पर खड़ा कर दिया, क्योंकि भारत की अमेरिकी निर्यात पर निर्भरता पर्याप्त है।
  • विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) का बड़े पैमाने पर निकास: अक्टूबर 2024 से लगभग ₹2.13 लाख करोड़ FPI आउटफ्लो हुए हैं। मजबूत डॉलर और विकसित बाजारों में बेहतर रिटर्न मिलने से भारतीय इक्विटियों की आकर्षण घट गया, जिससे बाजार में तरलता की कमी और मूल्य दबाव बढ़ा।
  • रुपए की निरंतर गिरावट: अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये ने ₹88 की दीवार को तोड़कर आगे गिरावट जारी रखी। यह मुद्रा दबाव न केवल विदेशी निवेशकों को हतोत्साहित करता है, बल्कि आयातित वस्तुओं की महंगाई के जोखिम को भी बढ़ाता है, खासकर उन सेक्टरों में जो विदेशी कच्चे माल पर निर्भर हैं।
  • आर्थिक मंदी के संकेत और जीडीपी डाटा की अनिश्चितता: निवेशकों ने अक्टूबर‑दिसंबर 2024 तिमाही और वित्तीय वर्ष 2024‑25 के जीडीपी आंकड़ों की प्रतीक्षा में बाजार को संभालकर रखा। कमजोर आर्थिक संकेतकों और कॉर्पोरेट कमाई के बारे में आशंकाओं ने जोखिम‑भरे वातावरण को और सुदृढ़ किया।

इन चार कारकों ने मिलकर बाजार में व्यापक बेचवाली को प्रेरित किया, विशेषकर फार्मास्यूटिकल और आईटी सेक्टर में गहरी गिरावट देखी गई। दोनों सेक्टर पहले के सत्रों में मजबूत प्रदर्शन कर रहे थे, परंतु इस अनपेक्षित धकेल ने उन्हें भी लाल बैंड में धकेल दिया।

बाजार पर व्यापक असर और भविष्य की संभावनाएँ

बाजार पर व्यापक असर और भविष्य की संभावनाएँ

निफ्टी ने सितंबर 2024 के शिखर स्तरों से लगभग 15‑18% तक गिरावट दर्ज की है। इस गिरावट ने BSE के कुल बाजार पूंजीकरण में कई लाख करोड़ रुपये की घटाव लाई, जिससे व्यक्तिगत और संस्थागत निवेशकों की संपत्ति पर भारी ज़हरीला असर पड़ा।

सेक्टरल इंडेक्स के सभी भाग लाल बैंड में बंद हुए, जो बाजार में व्यापक निराशा और जोखिम‑एवर्डनिंग का संकेत है। विशेषकर विदेशी निवेशकों की निरंतर बिकवाली ने बाजार को तरलता संकट में डाल दिया, जिससे छोटे और मध्यम निवेशकों को भी प्रेशर महसूस हुआ।

भविष्य की दिशा को लेकर दो प्रमुख सवाल उठ रहे हैं – कब बाजार में जमीन पकड़ेगा और रिटेल निवेशक इस माहौल में अपने पोर्टफ़ोलियो को कैसे संभालेंगे? विशेषज्ञों का मानना है कि अब आगे के आर्थिक आंकड़े, विशेषकर जीडीपी और मूलभूत कीमतें, तय करेंगे कि बाजार एक नई स्थिरता पर पहुंचेगा या और अधिक गिरावट देखेगा।

वर्तमान में, निवेशकों को अपने जोखिम प्रोफ़ाइल को पुनः मूल्यांकित करने और विविधीकरण पर ध्यान देने की सलाह दी जा रही है। जबकि कुछ अर्ली बायर्स अस्थायी गिरावट को खरीद के अवसर के रूप में देख सकते हैं, अधिकांश फंड मैनेजर्स अभी तक स्पष्ट संकेतों का इंतज़ार कर रहे हैं, जिससे अल्पकालिक ट्रेडिंग की गति धीमी हो सकती है।

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