गुजरात टाइटंस के टॉप ऑर्डर का धमाल
जब गुजरात टाइटंस और सनराइजर्स हैदराबाद आमने-सामने आए, तो सबकी नजरें थी कि कौन सी टीम अपना दबदबा कायम रखेगी। टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी करने उतरी गुजरात की शुरुआत ही तूफानी रही। कप्तान शुभमन गिल ने 38 गेंदों में 76 रन जड़कर फिर से सबको बता दिया कि वह बड़ी पारियों के लिए ही बने हैं। उनके साथ साई सुदर्शन ने भी तेजी से 23 गेंदों में 48 रन ठोंक दिए। पावरप्ले के दौरान इन दोनों ने चौकों-छक्कों की बारिश कर दी। जोस बटलर का बल्ला भी आज पूरा बोला; उन्होंने 37 गेंदों में 64 रन बनाकर निर्णायक साझेदारी बनाई।
गुजरात अपने पावरप्ले में ही 80 से ज्यादा रन ठोक चुका था, जिसके बाद टीम ने 224/6 का विशाल स्कोर बना डाला। आखिरी के ओवरों में भले फिनिशर अपना जलवा नहीं दिखा पाए, लेकिन स्कोर इतना बड़ा था कि दबाव दूसरी टीम पर दिख रहा था। हैदराबाद की बॉलिंग इस बार फीकी रही— टी नटराजन और मार्को यानसेन को कड़ा मुकाबला मिला, लेकिन किसी भी ओवर में गुजरात के रन फ्लो को रोक नहीं सके।
हैदराबाद की रफ्तार पर लगी ब्रेक, प्रसिध कृष्णा छाए
हैदराबाद का जवाबी हमला आक्रामक दिखा। ओपनर अभिषेक शर्मा ने 41 गेंदों में 69 रनों की जोरदार पारी खेली, लेकिन उनका साथ कोई बड़े वक्त तक नहीं निभा पाया। राहुल त्रिपाठी और ऐडन मार्करम जैसे अनुभवी बल्लेबाज भी लगातार विकेट खो बैठे।
गुजरात के प्रसिध कृष्णा ने बॉलिंग में मास्टरक्लास दिखाया। चार ओवर में सिर्फ 19 रन देकर दो बड़े विकेट चटका दिए। मिडिल ओवर्स में उनकी लेंथ और लाइन इतनी शानदार रही कि हैदराबाद की रन रेट वहीं ठहर गई। मोहम्मद शमी और राशिद खान ने दूसरे छोर से दबाव बनाए रखा, जिससे हैदराबाद 20 ओवर में केवल 186/6 ही बना सका।
जीत के साथ-साथ गुजरात टाइटंस 14 अंकों के साथ दूसरे स्थान पर पहुंच गए हैं। अब वे सिर्फ मुंबई इंडियंस से पिछड़ रहे हैं और प्लेऑफ में जाना लगभग तय दिख रहा है। वहीं, हैदराबाद की राह मुश्किल नजर आ रही है। उनके पास अब ज्यादा मौके नहीं और प्लेऑफ की दौड़ उनके लिए कांटे की हो चली है। पिछले मैच में चेन्नई पर बड़ी जीत मिली थी, लेकिन लगातार प्रदर्शन न होने से अब खतरा मंडरा रहा है।
आईपीएल के इस सीजन में गुजरात टाइटंस ने यह फिर दिखा दिया कि टीम में बैटिंग और बॉलिंग दोनों में गहराई है। खिलाड़ियों की फॉर्म और कप्तान की सोच—सब मिलकर उन्हें मजबूत दावेदार बना देती है। दूसरी तरफ, सनराइजर्स हैदराबाद को जल्द ही जवाब तलाशना होगा, वरना उनकी प्लेऑफ उम्मीदें चूक सकती हैं।
अरे भाई ये गुजरात का टॉप ऑर्डर तो बिल्कुल फिल्मी लग रहा था! शुभमन गिल ने जैसे कहा - 'मैं आया हूँ जीतने', और फिर 38 गेंदों में 76! और साई सुदर्शन? वो तो बिना ब्रेक लिए बल्ला घुमा रहा था, जैसे उसके हाथ में बल्ला नहीं, एक जादुई छड़ी हो! जोस बटलर ने तो ऐसा लगा जैसे वो गेंद को अपने घर के बाहर के पेड़ पर फेंक रहा हो! ये टीम अभी तक किसी ने नहीं रोका, अगर ये फॉर्म बनी रही तो प्लेऑफ में ये टीम बस एक बार भी बिना रुके दौड़ जाएगी।
बॉलिंग की बात करूँ तो प्रसिध कृष्णा ने तो ऐसा दिखाया जैसे उसके हाथ में एक छिपा हुआ जादू हो! चार ओवर में दो विकेट और सिर्फ 19 रन? ये तो बारिश नहीं, बल्कि एक तूफान था! उसकी लाइन और लेंथ देखकर लगा जैसे वो हर गेंद को एक राजनीतिक बयान बना रहा हो - सीधा, साफ, और बिल्कुल निर्णायक।
और हैदराबाद? ओपनिंग के बाद तो लगा जैसे उनका बल्लेबाजी टीम एक ट्रेन है जिसका इंजन चल रहा है, लेकिन वैगन टूट गए! अभिषेक शर्मा का निकलना जैसे ट्रेन का अगला वैगन उतर गया, और फिर सब रुक गए। राहुल त्रिपाठी, ऐडन मार्करम... सब एक-एक करके गायब हो गए। ऐसा लगा जैसे उनके बल्ले में बिजली का तार निकल गया।
मैं तो बस ये कहना चाहता हूँ कि ये गुजरात टाइटंस अब एक बिजली की तरह है - तेज, बिना धुआँ के, और बिल्कुल बिना रुके। अगर ये टीम अब भी इसी तरह खेलती रही, तो IPL 2025 का ट्रॉफी उनके घर के गेट पर ही लग जाएगा।
ये सब झूठ है भाई ये सब फिक्शन है गुजरात ने तो टीम के खिलाड़ियों को ड्रग्स दिए होंगे नहीं तो ऐसा कैसे हो सकता है और जोस बटलर जो इंग्लैंड का है वो तो भारतीय टीम में कैसे खेल रहा है ये सब नेटवर्क ऑपरेशन है जिसमें बीसीसीआई और एक अमेरिकी कंपनी जुड़ी हुई है जो टीवी रेटिंग बढ़ाना चाहती है
प्रसिध कृष्णा को तो अभी तक भारतीय टीम में नहीं डाला गया? ये तो अब तक का सबसे बड़ा अपराध है! ये आदमी चार ओवर में दो विकेट लेकर सिर्फ 19 रन दिए? और फिर भी वो नहीं चुना गया? ये बीसीसीआई का राष्ट्रीय अपराध है! अगर ये आदमी दक्षिण अफ्रीका या ऑस्ट्रेलिया में होता तो उसकी तस्वीरें शहर के बोर्ड पर लग जातीं! अब तो ये बस गुजरात टाइटंस का स्टार है और भारत के लिए नहीं? ये बेवकूफी नहीं तो कुछ और क्या है?
गुजरात टाइटंस का यह प्रदर्शन भारतीय क्रिकेट के इतिहास में एक अद्वितीय उपलब्धि है। शुभमन गिल का बल्लेबाजी शैली, जिसमें नियंत्रण, गति और निर्णय लेने की क्षमता का अद्भुत संगम है, एक नए युग की शुरुआत है। जोस बटलर के साथ इस टीम की साझेदारी ने बैटिंग के आधुनिक नियमों को पुनर्परिभाषित कर दिया है। प्रसिध कृष्णा की बॉलिंग ने वैश्विक स्तर पर भी एक नए मानक की नींव रखी है। यह टीम न केवल एक टीम है, बल्कि एक राष्ट्रीय आदर्श है। सनराइजर्स हैदराबाद की हार ने दर्शाया कि बिना टीमवर्क और नियंत्रित आक्रमण के कोई भी टीम भारतीय क्रिकेट के नए युग में जीत नहीं सकती।
क्या आपने कभी सोचा है कि ये सब बस एक खेल है... या ये हमारे समाज की एक आईना है? गुजरात के टॉप ऑर्डर ने बिना डर के खेला, बिना बात के जीता, बिना बहस के बल्ला घुमाया... जैसे कि वो जानते हैं कि उनकी जिम्मेदारी क्या है। और प्रसिध कृष्णा? वो तो बिना शोर के जीत लाया, बिना खुद को दिखाए, बिना चिल्लाए... जैसे कि वो जानता है कि शांति भी एक हथियार है।
हैदराबाद के खिलाड़ियों को देखकर लगा कि वो बस एक टीम नहीं, बल्कि एक अकेले आदमी की तरह खेल रहे थे... जिसे कोई साथ नहीं दे रहा था। अभिषेक शर्मा के बाद सब रुक गए... जैसे एक दीया बुझ गया और बाकी दीये बिना लक्ष्य के जल रहे थे।
और अगर हम इसे अपने जीवन से जोड़ें... तो क्या हम भी कभी इतना आत्मविश्वास से चलते हैं? क्या हम भी कभी अपनी शक्ति को देखते हैं, बिना दूसरों के आंकड़ों के? क्या हम भी कभी शांति से जीतते हैं... या हमेशा शोर में खो जाते हैं?
गुजरात ने बस एक मैच नहीं जीता... उन्होंने एक संदेश दिया है: बिना भावनाओं के बल्लेबाजी, बिना नाम के जीत, बिना शोर के बारिश... ये सब असली शक्ति है।