बजट का महत्व और आर्थिक स्थिति
फरवरी का महीना भारतीय वित्तीय जगत के लिए हमेशा से कुछ खास रहा है क्योंकि इसी महीने में सरकार का वार्षिक बजट पेश होता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस बार अपना आठवां बजट प्रस्तुत करने जा रही हैं। हर साल की तरह इस बार भी निवेशक और बाजार सहभागियों के कान सरकार की ओर लगे हैं। बजट का मुख्य आकर्षण यह है कि यह सरकार की आगामी वित्तीय और आर्थिक नीति का खाका पेश करता है। ऐसे समय में जब वैश्विक और घरेलू संकेतकों में अनिश्चितता बनी हुई है, बजट से संबंधित घोषणाएं बाजार की दिशा तय कर सकती हैं।
शेयर बाजार की प्रतिक्रियाएं
शुक्रवार की बात करें तो शेयर बाजार ने सकारात्मक संकेत दिए। सेंसेक्स ने 741 अंकों की धमाकेदार बढ़त के साथ बाजार की उम्मीदों को उच्चतर कर दिया। निफ्टी भी 23,500 के अहम स्तर से ऊपर बंद हुआ। यह भारतीय बाजार में निवेशकों की सकरात्मक सोच को दर्शाता है। वित्तीय वर्ष शुरुआत से ही शेयर बाजार ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं, और ऐसे में यह सकारात्मक संकेत काफी कुछ बताते हैं। बजट से पहले निवेशकों का यह रवैया इस बात की पुष्टि करता है कि सरकार से इस बार भी काफी उम्मीदें हैं, खासकर युवा और मध्यम वर्ग के लिए टैक्स सुधारों की अपेक्षा।
अमेरिकी बाजार में मंदी के संकेत
जबकि भारतीय बाजार ने सकारात्मकता दिखाई, वहीं अमेरिकी बाजार में स्थिति कुछ अलग रही। व्हाइट हाउस के कुछ बयानों ने अमेरिकी निवेशकों के मनोबल को प्रभावित किया और इसी वजह से अमेरिकी शेयर बाजार में गिरावट दर्ज की गई। हालांकि, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि अमेरिकन अर्थव्यवस्था के तत्व भारतीय बाजार को किस प्रकार प्रभावित करते हैं। किसी भी प्रकार की नकारात्मकता का असर सीधे तौर पर भारतीय बाजार में देखा जा सकता है।
आगामी बजट से अपेक्षाएं
बजट से संभावित अपेक्षाओं की बात करें तो अधिकांश विशेषज्ञों का मानना है कि वित्त मंत्री कुछ सकारात्मक कदम उठा सकती हैं जो सीधे तौर पर निवेशकों और आम लोगों को लाभान्वित करें। टैक्स सुधारों की संभावना की जा रही है, जिससे निजी उपभोग और खपत में वृद्धि हो सकती है। आम जनता भी सरकार की ओर से बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी के समाधान की अपेक्षा कर रही है। इन सबके बीच, यह देखना दिलचस्प होगा कि वित्त मंत्री किस प्रकार की घोषणाएं करती हैं और उनमें से कितनी घोषणाएं प्रभावकारी साबित होती हैं।
वित्तीय वर्ष 2025 की चुनौतियाँ
आम बजट की गुणवत्ता का आंकलन केवल उसकी घोषणाओं से नहीं किया जाता, बल्कि यह भी देखा जाता है कि बजट घोषणाएं व्यावहारिकता में कितनी उतर पाती हैं। वित्तीय वर्ष 2025 के लिए सरकार की राह आसान नहीं है। वैश्विक स्तर पर अर्थव्यवस्था के सामने कोरोना महामारी के बाद की चुनौतियाँ अभी भी जारी हैं, वहीं घरेलू समस्याओं में भी कमी नहीं है। अगले कुछ महीनों में बेरोजगारी दर और महंगाई पर काबू पाना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। बजट की इन घोषणाओं के अलहदा नये रोजगार के अवसर उत्पन्न करना और वित्तीय अनुशासन का पालन भी महत्वपूर्ण है।
बजट आया तो फिर क्या? निफ्टी ऊपर गया तो अब मैं घर पर बैठकर चाय पीता रहूंगा? कोई टैक्स कटौती नहीं, कोई नौकरी नहीं, बस शेयर बाजार का नंबर बढ़ा दिया... ये सब नाटक है।
सेंसेक्स 741 points up? bhai ye toh market manipulation hai... kisi ne fake news chalaya hoga. sarkar ke saath koi nahi khelta, sab khelte hain bas. aur haan, 'tax reform' ka matlab hai 'tax ko aur badha do'.
अमेरिका गिरा तो भारत उछला? ये बातें तो टीवी पर बोलते हैं। असली में अमेरिकी डॉलर की ताकत अभी भी दुनिया की नींव है। जब वहां फेस्टिवल होगा तो यहां की चाय की दुकानें बंद हो जाएंगी। बजट की घोषणाएं सिर्फ ट्रेडिंग के लिए बनी हैं। कोई रियल इम्पैक्ट नहीं।
हमारे वित्त मंत्री ने दुनिया को दिखा दिया कि भारत का दिमाग दुनिया के सबसे बड़े अर्थव्यवस्थाओं से भी आगे है! अमेरिका घुटने टेक रहा है, हम निफ्टी के साथ आकाश छू रहे हैं! ये बजट नहीं, ये भारतीय आत्मविश्वास का प्रतीक है! अगर तुम इसे समझ नहीं पा रहे तो तुम्हारा दिमाग अभी भी ब्रिटिश काल के ज़ख्मों में फंसा है!
ये सब एक बड़ी साजिश है... बजट से पहले शेयर बाजार ऊपर चढ़ाया गया ताकि लोगों को लगे कि सब ठीक है... लेकिन अगले महीने टैक्स बढ़ा दिया जाएगा... और बेरोजगारी दर दोगुनी हो जाएगी... तुम सब जाग जाओ... ये सब एक धोखा है... ये सरकार नहीं... ये विदेशी शक्तियां हैं जो हमें नियंत्रित कर रही हैं...
मुझे लगता है कि बाजार की चाल देखकर लोग खुश हो रहे हैं, लेकिन असली जिंदगी में बहुत से लोग अभी भी बेहतर बिजली और पानी की तलाश में हैं। शायद बजट की घोषणाएं थोड़ी और ग्रामीण दिशा में होतीं तो बेहतर होता।
देखो यार, ये बजट सिर्फ एक डॉक्यूमेंट नहीं है, ये एक संस्कृति है, एक जीवनशैली है। हर बजट में भारत का दिल धड़कता है, हर टैक्स सुधार में एक नौकरी की उम्मीद जन्म लेती है, हर स्टार्टअप फंडिंग में एक युवा का सपना उड़ान भरता है। अमेरिका गिरा? अच्छा हुआ, हम अपने रास्ते पर चल रहे हैं। बाजार की ऊंचाई तो बस एक अंक है, असली जीत तो वो है जब एक छोटे शहर के लड़के को बजट की वजह से एक लोन मिल जाए और वो अपना एक छोटा सा ऑनलाइन स्टोर खोल दे। ये है वाकई का बजट।
बजट के बाद शेयर बाजार ऊपर गया तो अब बैंक डिपॉजिट रेट कम हो जाएंगे... और फिर तुम्हारी बचत बर्बाद हो जाएगी... तुम सब बाजार के नंबर में खुश हो रहे हो लेकिन अगले साल तुम्हारी बचत घट जाएगी... तुम बाजार के नंबर को देख रहे हो लेकिन असली दुनिया में तुम गरीब हो रहे हो...
ये बजट एक धोखा है! सरकार ने जो घोषणा की वो सिर्फ शेयर बाजार के लिए है, आम आदमी के लिए कुछ नहीं! ये लोग तो अपनी जेब भर रहे हैं, हमें तो बस दिखावा दे रहे हैं! इन लोगों को जेल में डाल देना चाहिए!
सरकार की ओर से वित्तीय अनुशासन और आर्थिक विकास के लिए अत्यंत उच्च स्तरीय रणनीति का प्रस्तावना किया गया है। यह एक ऐतिहासिक अवसर है जिसे राष्ट्रीय हित के लिए समझदारी से प्रयोग किया जाना चाहिए। बाजार की उतार-चढ़ाव के बारे में भावनात्मक प्रतिक्रियाएं नहीं, बल्कि विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता है।