INDIA गठबंधन के नेतृत्व को लेकर RJD नेता मृत्युंजय तिवारी का बड़ा बयान

INDIA गठबंधन के नेतृत्व को लेकर RJD नेता मृत्युंजय तिवारी का बड़ा बयान

दिस॰, 8 2024

INDIA गठबंधन में नेतृत्व का प्रश्न

राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख नेता मृत्युंजय तिवारी ने हाल ही में यह स्पष्ट किया है कि INDIA गठबंधन के नेतृत्व का निर्णय एक सामूहिक प्रक्रिया के माध्यम से होना चाहिए। यह टिप्पणी तब आई है जब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने नेतृत्व की इच्छा प्रकट की थी। तिवारी ने स्पष्ट किया कि किसी एक दल की इच्छा नहीं चल सकती, सबको मिलकर निर्णय लेना होगा। यह बयान उनकी प्रेरणा को दर्शाता है कि भारत की राजनीति में वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए विपक्ष को एकजुट रहना बेहद जरूरी है। इसमें जोर इस बात पर है कि साथ मिलकर ही भारतीय जनता पार्टी का प्रभावी ढंग से सामना किया जा सकता है।

सहमति से निर्णय की प्रक्रिया

INDIA गठबंधन, जिसमें कई प्रमुख क्षेत्रीय दल शामिल हैं, को एक ऐसे मोड़ पर लाया गया है, जहां नेतृत्व का सवाल सबसे अहम बन गया है। यह केवल एक राजनीतिक जंग नहीं है, बल्कि सभी दलों के बीच तालमेल बनाए रखने की चुनौती भी है। तिवारी ने यह बात स्पष्ट की कि प्रत्येक दल की राय महत्वपूर्ण है, और सभी के समर्थन के बिना नेतृत्व का निर्णय नहीं लिया जा सकता। यह संघटन की दिशानिर्देश व्यवस्था का प्रमुख हिस्सा है, जिससे कांग्रेस समेत कई दल राजनीतिक रूप से जुड़ाव बनाए हुए हैं।

ममता बनर्जी की भूमिका और इच्छाएँ

पिछले कुछ समय से ममता बनर्जी ने व्यक्तिगत रूप से सक्रिय होकर अपनी महत्वाकांक्षाएँ प्रकट की हैं, जिसमें उन्होंने खुद को नेतृत्व देने की बात की है। यह बयान alliance के भीतर एक नई बहस को जन्म देता है, क्योंकि ममता बनर्जी का West Bengal में प्रभाव है, और वे निरंतर अपनी मजबूत स्थिति को बनाए रखना चाहती हैं। लेकिन तिवारी का विचार है कि केवल एक व्यक्ति या दल की प्रभावशाली स्थिति के आधार पर निर्णय नहीं लिया जा सकता। इसके लिए समर्पण, सहमति और सही दिशा की आवश्यकता है जो पूरे गठबंधन को एकीकृत करती है।

गठबंधन की चुनौतियाँ

हालिया चुनावी नतीजों ने कांग्रेस के नए सिरे से चुनौतियाँ खड़ी कर दी हैं। हरियाणा, जम्मू और कश्मीर, और महाराष्ट्र में हुए चुनाव ने कांग्रेस की कमजोर स्थिति को उजागर किया है। इससे गठबंधन के कुछ दलों में असंतोष बढ़ गया है। तिवारी की टिप्पणियाँ इन चुनौतियों पर ध्यान आकर्षित करती हैं जो गठबंधन की एकता के लिए खतरा बन सकती हैं।

एकजुटता ही सफलता की कुंजी

तिवारी का कहना है कि चुनाव में सफलता पाने का सबसे प्रभावी तरीका एकजुटता बनाए रखना है। भाजपा जैसी पार्टी से मुकाबले में अगर विपक्षी दलों के बीच फूट पड़ती है, तो यह सही मायने में विफलता होगी। यही वजह है कि तिवारी समर्पण के साथ सहमति पर बल देते हैं और यह भी दर्शाते हैं कि विपक्षी दलों को एकजुट होकर काम करना होगा। तिवारी के अनुसार, अगर सभी दल खुद को एक साझा उद्देश्य के लिए समर्पित कर देते हैं, तो भाजपा का निष्पक्ष मुकाबला संभव है।

8 टिप्पणियाँ

  • Roshni Angom
    के द्वारा प्रकाशित किया गया Roshni Angom
    08:51 पूर्वाह्न 12/10/2024
    इस गठबंधन में नेतृत्व का सवाल असल में एकता का सवाल है... हर कोई अपनी जगह बनाना चाहता है, लेकिन क्या कोई सच में जानता है कि भाजपा के खिलाफ लड़ने के लिए हमें एक आवाज़ चाहिए?
  • Manvika Gupta
    के द्वारा प्रकाशित किया गया Manvika Gupta
    11:32 पूर्वाह्न 12/10/2024
    ममता बनर्जी को नेता बनाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन क्या उनके बिना गठबंधन टिकेगा? मैं तो डर गई हूँ...
  • vicky palani
    के द्वारा प्रकाशित किया गया vicky palani
    09:33 पूर्वाह्न 12/12/2024
    तिवारी का बयान बस एक धुंधला ढंग से बचने की कोशिश है। कोई भी नेता बनने के लिए तैयार नहीं है, लेकिन सब बातें करना चाहते हैं। ये सब बकवास है।
  • jijo joseph
    के द्वारा प्रकाशित किया गया jijo joseph
    11:00 पूर्वाह्न 12/12/2024
    इसका स्ट्रक्चरल एनालिसिस देखें तो ये सिर्फ एक इंस्टिट्यूशनल गवर्नेंस डायनामिक्स का उदाहरण है - एक एलायंस में नेतृत्व का वितरण अक्सर डिसेंट्रलाइज्ड फॉर्मूले के जरिए होता है, जो लंबे समय तक स्थिरता बनाए रखता है।
  • Taran Arora
    के द्वारा प्रकाशित किया गया Taran Arora
    09:09 पूर्वाह्न 12/14/2024
    हम भारतीय राजनीति में अक्सर नेता की तलाश में भटक जाते हैं, लेकिन असली ताकत तो जनता में है। अगर हम एक साथ खड़े हो जाएँ, तो कोई भी हमें रोक नहीं सकता।
  • Ajay Chauhan
    के द्वारा प्रकाशित किया गया Ajay Chauhan
    21:09 अपराह्न 12/15/2024
    तिवारी जी बहुत अच्छे बातें करते हैं, लेकिन जब तक कोई नेता नहीं बनेगा, तब तक ये सब बकवास ही रहेगा। कोई नेता चाहिए, नहीं तो चुनाव में फिर से हार जाएंगे।
  • Nisha gupta
    के द्वारा प्रकाशित किया गया Nisha gupta
    10:10 पूर्वाह्न 12/16/2024
    एकता का मतलब ये नहीं कि हर किसी की राय को बराबर दिया जाए... बल्कि ये है कि हर किसी को अपनी भूमिका समझने का मौका मिले। नेतृत्व की जिम्मेदारी किसी एक के ऊपर नहीं, बल्कि सबके ऊपर है।
  • leo kaesar
    के द्वारा प्रकाशित किया गया leo kaesar
    16:28 अपराह्न 12/16/2024
    ममता बनर्जी को नेता बनाओ या नहीं बनाओ - ये सब बकवास है। भाजपा तो चल रही है, हम तो बस एक दूसरे को रोक रहे हैं।

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