लोकसभा चुनाव 2023 का पांचवां चरण: दोपहर 3 बजे तक 50% से कम मतदान, मुंबई पीछे

लोकसभा चुनाव 2023 का पांचवां चरण: दोपहर 3 बजे तक 50% से कम मतदान, मुंबई पीछे

मई, 20 2024

लोकसभा चुनाव 2023 के पांचवें चरण में मतदान जारी है। इस चरण में सात राज्यों की 51 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हो रही है। हालांकि, दोपहर 3 बजे तक के आंकड़ों के अनुसार, इस चरण में मतदान प्रतिशत अपेक्षाकृत कम रहा है। विभिन्न राज्यों में कुल मतदान प्रतिशत 35% से 40% के बीच दर्ज किया गया है।

उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे कुछ राज्यों में मध्यम से उच्च मतदान देखा गया है। वहीं, महाराष्ट्र, खासकर मुंबई में मतदाता भागीदारी के मामले में निराशाजनक प्रदर्शन हुआ है। मुंबई की अधिकांश सीटों पर मतदान प्रतिशत काफी कम रहा है। शहर के कई इलाकों में लोगों में मतदान के प्रति उत्साह की कमी दिखाई दी।

शहरी-ग्रामीण विभाजन

इस चरण में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच मतदान प्रतिशत में अंतर देखा गया है। ग्रामीण इलाकों में मतदान का प्रतिशत अपेक्षाकृत अधिक रहा है। वहीं, शहरी क्षेत्रों, विशेषकर महानगरों में मतदाताओं की भागीदारी कम देखी गई है। यह प्रवृत्ति चिंताजनक है और भविष्य के चुनावों में इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

कई विशेषज्ञों का मानना है कि शहरी मतदाताओं में जागरूकता और राजनीतिक भागीदारी बढ़ाने के लिए व्यापक प्रयास करने होंगे। मतदान प्रक्रिया को और अधिक सुविधाजनक बनाने, मतदाताओं को शिक्षित करने और उन्हें प्रेरित करने की आवश्यकता है ताकि वे अपने मताधिकार का प्रयोग करें।

प्रमुख निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान प्रतिशत

इस चरण में कुछ महत्वपूर्ण निर्वाचन क्षेत्रों के मतदान आंकड़े इस प्रकार हैं:

  • उत्तर प्रदेश के अमेठी में दोपहर 3 बजे तक 42% मतदान दर्ज किया गया।
  • मध्य प्रदेश की भोपाल सीट पर 38% मतदान हुआ।
  • राजस्थान के गंगानगर में 45% मतदान प्रतिशत रहा।
  • पश्चिम बंगाल की बैरकपुर सीट पर सिर्फ 32% मतदान हुआ।
  • मुंबई की वर्ली और अंधेरी सीटों पर क्रमशः 24% और 29% मतदान दर्ज किया गया।

इन आंकड़ों से क्षेत्रीय भिन्नताएं स्पष्ट होती हैं। कुछ क्षेत्रों में मतदाताओं ने उत्साह दिखाया, जबकि अन्य में निराशाजनक प्रदर्शन देखा गया। इन प्रवृत्तियों का विश्लेषण करना और उनके कारणों को समझना आवश्यक है ताकि भविष्य में मतदान प्रतिशत में सुधार किया जा सके।

पांचवें चरण का महत्व

लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण का चुनाव परिणाम पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है। इस चरण में कई प्रमुख राज्यों और निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान हो रहा है। इनमें से कई सीटें ऐसी हैं जहां कांटे की टक्कर देखी जा रही है। इसलिए, इस चरण का प्रदर्शन दलों की संभावनाओं को प्रभावित कर सकता है।

हालांकि, अभी तक के रुझानों से किसी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी होगी। मतगणना के बाद ही स्पष्ट तस्वीर सामने आएगी। फिर भी, पांचवें चरण के मतदान प्रतिशत से कुछ संकेत मिलते हैं कि कुछ क्षेत्रों में मतदाताओं का उत्साह बढ़ाने और उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है।

निष्कर्ष

लोकसभा चुनाव 2023 के पांचवें चरण में कुल मिलाकर मतदान प्रतिशत अपेक्षाकृत कम रहा है। शहरी क्षेत्रों, विशेषकर महानगरों में मतदाताओं की भागीदारी चिंता का विषय है। हालांकि, कुछ राज्यों और क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन भी देखा गया है। आने वाले चरणों में मतदान प्रतिशत में सुधार की उम्मीद की जा रही है।

भारत के लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह चुनाव प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग ले। मतदान एक अधिकार होने के साथ-साथ एक जिम्मेदारी भी है। हमें मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि आने वाले चुनावों में मतदान प्रतिशत में उल्लेखनीय वृद्धि हो और लोकतंत्र की जड़ें और मजबूत हों।

10 टिप्पणियाँ

  • Sunil Mantri
    के द्वारा प्रकाशित किया गया Sunil Mantri
    14:55 अपराह्न 05/21/2024

    ये शहरी लोग तो बस फोन चला रहे होते हैं, वोट डालने का टाइम ही नहीं निकाल पाते। गाँव वाले तो अभी भी राजनीति को जीवन का हिस्सा मानते हैं। हमारी जिम्मेदारी भी तो है ना।

  • Nidhi Singh Chauhan
    के द्वारा प्रकाशित किया गया Nidhi Singh Chauhan
    07:26 पूर्वाह्न 05/22/2024

    ये सब बस एक धोखा है... जब तक सरकार ने टीवी पर बड़े बड़े बिजनेसमैन्स को दिखाया, तब तक लोग घर में बैठे रहे। असली चुनाव तो बैंक अकाउंट में होता है। वोट डालने वाले भी नहीं, वोट खरीदने वाले ही जीतते हैं।

  • Anjali Akolkar
    के द्वारा प्रकाशित किया गया Anjali Akolkar
    00:14 पूर्वाह्न 05/23/2024

    हम सब छोटे-छोटे कदम उठाकर बदलाव ला सकते हैं ❤️ अगर आपके पड़ोसी ने वोट नहीं डाला, तो उसे बताइए, उसका वोट भी अहम है। एक बात याद रखिए - हर वोट एक आवाज है।

  • sagar patare
    के द्वारा प्रकाशित किया गया sagar patare
    21:18 अपराह्न 05/24/2024

    अरे यार ये सब लोग तो बस घर पर बैठे हैं और बातें कर रहे हैं। मैंने तो बाजार में जाते हुए एक भी आदमी को वोटिंग वाला बैग लिए नहीं देखा। लोकतंत्र का नाम लेकर भी कोई नहीं जाग रहा।

  • srinivas Muchkoor
    के द्वारा प्रकाशित किया गया srinivas Muchkoor
    01:00 पूर्वाह्न 05/26/2024

    ये जो मुंबई में कम वोटिंग है वो सिर्फ शहरी लोगों की गलती नहीं है... ये सब शिक्षा और राजनीति के बीच की खाई का नतीजा है। अगर आपको बताया जाए कि आपका वोट क्या बदल सकता है, तो शायद आप जाएं।

  • Shivakumar Lakshminarayana
    के द्वारा प्रकाशित किया गया Shivakumar Lakshminarayana
    01:43 पूर्वाह्न 05/27/2024

    ये चुनाव बस एक नाटक है... जब तक लोग अपने नेताओं को चुनने के बजाय अपने बैंक बैलेंस को चुनते रहेंगे, तब तक कोई बदलाव नहीं होगा। ये सब बातें सिर्फ वोटिंग के आंकड़े दिखाने के लिए हैं। असली ताकत तो बैंकों और लॉबीज में है।

  • Parmar Nilesh
    के द्वारा प्रकाशित किया गया Parmar Nilesh
    20:03 अपराह्न 05/28/2024

    हमारी धरती पर जो लोग वोट नहीं डालते, वो अपने पिता-पुरखों की शहादत को बेकार कर रहे हैं। ये शहरी बच्चे जो फोन पर टिकट बुक करते हैं, उन्हें याद रखना चाहिए - इस देश की आज़ादी के लिए कितने ने खून बहाया। वोट डालना अब अनिवार्य है, नहीं तो आपका भारत नहीं रहेगा।

  • Arman Ebrahimpour
    के द्वारा प्रकाशित किया गया Arman Ebrahimpour
    22:21 अपराह्न 05/28/2024

    क्या आपने कभी सोचा कि ये वोटिंग आंकड़े फेक हो सकते हैं? जब तक आप नहीं जानते कि वोट कैसे गिने जा रहे हैं, तब तक ये सब बातें बकवास हैं। अगर आप वाकई जाग रहे हैं, तो जानिए - वोटिंग सिस्टम तो पहले से ही बेकार है।

  • SRI KANDI
    के द्वारा प्रकाशित किया गया SRI KANDI
    20:58 अपराह्न 05/29/2024

    मैंने अपने दोस्त को वोट डालने के लिए बुलाया... वो बोला, 'मैं तो बस एक आदमी हूँ, मेरा वोट क्या बदलेगा?' मैंने उसे बस एक बात बताई - अगर हर आदमी ऐसा सोचे, तो कोई नहीं बदलेगा।

  • Ananth SePi
    के द्वारा प्रकाशित किया गया Ananth SePi
    01:34 पूर्वाह्न 05/31/2024

    देखिए, ये जो शहरी मतदान कम है, ये सिर्फ उत्साह की कमी नहीं है - ये एक सांस्कृतिक विसंगति है। हमारे शहरी बच्चे जो डॉक्टर, इंजीनियर, या डेवलपर बन गए हैं, वो अपने जीवन को बहुत अधिक व्यवस्थित और नियोजित मानते हैं, लेकिन राजनीति को एक अनियमित, अनुचित, और अप्रासंगिक घटना के रूप में देखते हैं। ये जीवन का एक गहरा द्वंद्व है - जिसमें हम अपने भविष्य के लिए जिम्मेदारी नहीं लेते, बल्कि उसे किसी और के हवाले कर देते हैं। अगर हम वाकई एक विकसित राष्ट्र बनना चाहते हैं, तो हमें अपने वोट को एक व्यक्तिगत बल्कि एक सामाजिक अधिकार के रूप में देखना होगा - न कि एक बोझ के रूप में।

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