जॉर्डन का 'प्लान 3000': गाजा से हमास निष्कासन और प्रतिरोध को खत्म करने की विवादित तैयारी

जॉर्डन का 'प्लान 3000': गाजा से हमास निष्कासन और प्रतिरोध को खत्म करने की विवादित तैयारी

जून, 14 2025

जॉर्डन का विवादित प्रस्ताव और जमीनी हालात

गाजा पट्टी को लेकर जिस वक्त दुनिया की नजरें इजरायल और हमास के बीच जारी संघर्ष पर टिकी हुई हैं, वहीं जॉर्डन ने एक ऐसा प्रस्ताव पेश कर दिया जिसने खलबली मचा दी है। इस 'प्लान 3000' के तहत गाजा से 3,000 हमास सदस्यों, जिनमें बड़े सैन्य और नागरिक नेता शामिल हैं, को बाहर निकालने और सभी प्रतिरोधी गुटों को असलहाहीन करने की बात की गई है। लक्ष्य साफ है – हमास शासन को कमजोर करना, और गाजा का प्रशासनिक नियंत्रण फिर से फिलीस्तीनी प्राधिकरण (PA) को सौंपना। ऐसी खबरें हैं कि यह प्रस्ताव अमेरिका और कुछ फिलीस्तीनी अधिकारियों से भी साझा किया गया।

हालांकि, जॉर्डन के विदेश मंत्री अयमान सफदी ने इस तरह की किसी योजना को सार्वजनिक तौर पर नकार दिया है। जॉर्डनियन रेडियो से बातचीत में उनका कहना था कि देश ने औपचारिक रूप से ऐसा कोई प्रस्ताव पेश नहीं किया। बावजूद इसके, मीडिया में इस प्रस्ताव को लेकर खूब चर्चा है क्योंकि इससे न सिर्फ गाजा की राजनीतिक दिशा बदल सकती है, बल्कि क्षेत्रीय समीकरण भी उलट-पुलट हो सकते हैं।

इजरायली हमले, मानवीय संकट और राजनीतिक दिमागी जंग

गाजा में हालात बेहद नाजुक हैं। अक्टूबर 2023 से अब तक, फिलीस्तीनी स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबित 50,000 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है, जिनमें लगभग 18,000 बच्चे हैं। मार्च 2025 में जब संघर्षविराम टूटा, तो हिंसा और तेज हो गई। महज 18 मार्च के एक इजरायली हमले में 404 आम नागरिक मारे गए। इन हमलों ने गाजा को खून-खराबे और मानवीय संकट से भर दिया है।

जॉर्डन का यह प्रस्ताव इसी सिलसिले की कड़ी बताया जा रहा है, जिसमें हमास और उसके सहयोगी संगठनों को तय समय-सीमा में हथियारबंद करना है। इसके बाद फिलीस्तीनी प्राधिकरण को यहां की सत्ता मिल सकती है। गौर करने वाली बात है कि जॉर्डन ऐसा देश है जिसने हमेशा गाजा के बाहर फिलीस्तीनियों के पुनर्वास का विरोध किया है। लेकिन अब वह अपनी रणनीति में बदलाव का संकेत दे रहा है या फिर कम से कम क्षेत्रीय दबाव को लेकर सक्रिय है।

दूसरी तरफ, हमास ने बार-बार कहा कि वह वार्ता के लिए तैयार है, हालांकि इजरायल पर लगातार संघर्षविराम तोड़ने के आरोप लगते रहे हैं। वहीं, अमेरिका के स्पेशल एनवॉय स्टीव विटकॉफ ने हाल ही में हमास पर शांति की कोशिशें नाकाम करने के लिए दोष मढ़ा।

इस पूरे घटनाक्रम में यह सवाल बड़ा हो गया है कि क्या इस तरह के प्रस्ताव गाजा की जमीनी सच्चाई पर खरे उतरेंगे। क्षेत्रीय देश जहां मानवीय संकट को तत्काल टालना चाहते हैं, वहीं सियासी और सैन्य प्रतिद्वंदिता किसी भी कदम को जटिल बना देती है। बात सिर्फ हथियार डालने या सत्ता हस्तांतरण की नहीं है; यह पूरी प्रक्रिया गाजा, जॉर्डन, इजरायल, और फिलीस्तीन के भविष्य की दिशा तय कर सकती है।

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