जॉर्डन का विवादित प्रस्ताव और जमीनी हालात
गाजा पट्टी को लेकर जिस वक्त दुनिया की नजरें इजरायल और हमास के बीच जारी संघर्ष पर टिकी हुई हैं, वहीं जॉर्डन ने एक ऐसा प्रस्ताव पेश कर दिया जिसने खलबली मचा दी है। इस 'प्लान 3000' के तहत गाजा से 3,000 हमास सदस्यों, जिनमें बड़े सैन्य और नागरिक नेता शामिल हैं, को बाहर निकालने और सभी प्रतिरोधी गुटों को असलहाहीन करने की बात की गई है। लक्ष्य साफ है – हमास शासन को कमजोर करना, और गाजा का प्रशासनिक नियंत्रण फिर से फिलीस्तीनी प्राधिकरण (PA) को सौंपना। ऐसी खबरें हैं कि यह प्रस्ताव अमेरिका और कुछ फिलीस्तीनी अधिकारियों से भी साझा किया गया।
हालांकि, जॉर्डन के विदेश मंत्री अयमान सफदी ने इस तरह की किसी योजना को सार्वजनिक तौर पर नकार दिया है। जॉर्डनियन रेडियो से बातचीत में उनका कहना था कि देश ने औपचारिक रूप से ऐसा कोई प्रस्ताव पेश नहीं किया। बावजूद इसके, मीडिया में इस प्रस्ताव को लेकर खूब चर्चा है क्योंकि इससे न सिर्फ गाजा की राजनीतिक दिशा बदल सकती है, बल्कि क्षेत्रीय समीकरण भी उलट-पुलट हो सकते हैं।
इजरायली हमले, मानवीय संकट और राजनीतिक दिमागी जंग
गाजा में हालात बेहद नाजुक हैं। अक्टूबर 2023 से अब तक, फिलीस्तीनी स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबित 50,000 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है, जिनमें लगभग 18,000 बच्चे हैं। मार्च 2025 में जब संघर्षविराम टूटा, तो हिंसा और तेज हो गई। महज 18 मार्च के एक इजरायली हमले में 404 आम नागरिक मारे गए। इन हमलों ने गाजा को खून-खराबे और मानवीय संकट से भर दिया है।
जॉर्डन का यह प्रस्ताव इसी सिलसिले की कड़ी बताया जा रहा है, जिसमें हमास और उसके सहयोगी संगठनों को तय समय-सीमा में हथियारबंद करना है। इसके बाद फिलीस्तीनी प्राधिकरण को यहां की सत्ता मिल सकती है। गौर करने वाली बात है कि जॉर्डन ऐसा देश है जिसने हमेशा गाजा के बाहर फिलीस्तीनियों के पुनर्वास का विरोध किया है। लेकिन अब वह अपनी रणनीति में बदलाव का संकेत दे रहा है या फिर कम से कम क्षेत्रीय दबाव को लेकर सक्रिय है।
दूसरी तरफ, हमास ने बार-बार कहा कि वह वार्ता के लिए तैयार है, हालांकि इजरायल पर लगातार संघर्षविराम तोड़ने के आरोप लगते रहे हैं। वहीं, अमेरिका के स्पेशल एनवॉय स्टीव विटकॉफ ने हाल ही में हमास पर शांति की कोशिशें नाकाम करने के लिए दोष मढ़ा।
इस पूरे घटनाक्रम में यह सवाल बड़ा हो गया है कि क्या इस तरह के प्रस्ताव गाजा की जमीनी सच्चाई पर खरे उतरेंगे। क्षेत्रीय देश जहां मानवीय संकट को तत्काल टालना चाहते हैं, वहीं सियासी और सैन्य प्रतिद्वंदिता किसी भी कदम को जटिल बना देती है। बात सिर्फ हथियार डालने या सत्ता हस्तांतरण की नहीं है; यह पूरी प्रक्रिया गाजा, जॉर्डन, इजरायल, और फिलीस्तीन के भविष्य की दिशा तय कर सकती है।
जिन्होंने ये प्लान बनाया, उन्हें एक बार गाजा आकर देखना चाहिए।
हमास को हथियार छीनने की बात करना तो बिल्कुल बेवकूफी है - जब तक इजरायल अपनी सैन्य अधिकारिता नहीं छोड़ता, तब तक कोई समाधान नहीं।
हमास को बाहर निकालो, इजरायल को छोड़ दो, और फिर देखो क्या होता है।
इसका एकमात्र समाधान है - अंतर्राष्ट्रीय सैन्य उपस्थिति। बिना इसके सब कुछ बस एक बड़ा नाटक है।
सिर्फ और सिर्फ शोर मचाने का नया तरीका।
और तुम सब ये बातें पढ़कर खुश हो रहे हो? ये सब एक नया बाहरी नियंत्रण है।
हमास खराब है, लेकिन फिलीस्तीनी प्राधिकरण और जॉर्डन उससे भी बदतर हैं।
हमास को हटाना आसान है, लेकिन उसकी जड़ें - अपमान, गरीबी, और अन्याय - नहीं हटेंगी।
ये सब तो बस एक राजनीतिक धोखा है।
50k मरे, 18k बच्चे... और हम अभी भी प्लान्स के बारे में बात कर रहे हैं? 😭
ये नहीं है कि अब नया प्लान बनाना है... ये है कि अब दुनिया को जागना है।
तुम सब इतने गंभीर क्यों हो गए? ये सब बस एक बड़ा न्यूज़ फेक है।
अगर तुम्हें असली समाधान चाहिए, तो इजरायल के बमों को रोको। न कि किसी बाहरी देश के ड्राफ्ट को लेकर बहस करो।
aur agar yeh sach hai toh kyun hum yeh sabhi baatein kar rahe hai? kya koi yeh sochta hai ki 50000 log mar chuke hai? 😐