तमिलनाडु के सभी स्कूल और कॉलेज 28 नवंबर, 2025 को बंद हो गए — न सिर्फ छुट्टी के लिए, बल्कि जान बचाने के लिए। साइक्लोन डिटवाह, जो श्रीलंका के तट से लगभग 100 किमी उत्तर-पश्चिम में था, अब दक्षिणी बंगाल की खाड़ी में तेजी से उत्तर-उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ रहा है, और इसका सीधा असर तमिलनाडु के कर्नाटक और पुडुचेरी के तटीय जिलों पर पड़ने वाला है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, यह तूफान अभी 530 किमी दक्षिण-दक्षिण-पूर्व में चेन्नई से दूर है, लेकिन इसकी गति और तीव्रता इतनी ज्यादा है कि लगभग 48 घंटे में ही यह तट पर टकराएगा।
लाल चेतावनी और बारिश का भय
IMD ने तमिलनाडु के चार जिलों — तंजावूर, तिरुवारूर, नागपट्टिनम और मयिलाडूतुराई — के लिए ‘लाल चेतावनी’ जारी की है। इसका मतलब है: तीव्र और अत्यधिक तीव्र बारिश। ये जिले जिस क्षेत्र को ‘कावेरी डेल्टा’ कहते हैं, वह आमतौर पर फसलों का खजाना है, लेकिन अब यही बाढ़ का निशाना बन गया है। IMD के मुताबिक, इन जिलों में 28 से 30 नवंबर तक 64.5 से 115.5 मिमी बारिश हो सकती है, और कुछ अलग-अलग स्थानों पर यह आंकड़ा 204.5 मिमी से भी आगे बढ़ सकता है। ये बारिश ऐसी है जो एक दिन में पूरे अक्टूबर की बारिश को पार कर जाएगी।
सरकारी प्रतिक्रिया: स्कूल बंद, बचाव टीमें, बिजली काटना
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री मुथुवेल करुणानिधि स्टीलन ने तुरंत आदेश जारी किया: सभी स्कूल और कॉलेज 28 नवंबर को बंद। यह फैसला सिर्फ शिक्षा के लिए नहीं, बल्कि बच्चों और शिक्षकों की जान बचाने के लिए था। इसी दौरान, राष्ट्रीय आपातकालीन प्रतिक्रिया बल (NDRF) ने 15 टीमें — कुल 150 अधिकारी — तमिलनाडु और पुडुचेरी में तैनात कर दिए। ये टीमें नावों, रेस्क्यू बोट्स और ड्रोन्स के साथ आई हैं।
बिजली की आपूर्ति भी बंद हो गई। तमिलनाडु बिजली बोर्ड ने 12 तटीय विधानसभा क्षेत्रों में पूर्व सावधानी के तौर पर बिजली काट दी। बारिश में बिजली के तार गिरने या बिजली के झटके से लोगों की मौत का खतरा है — यह अतीत का दर्द है। 2018 में तमिलनाडु में एक तूफान के बाद 17 लोग बिजली के झटके से मरे थे।
समुद्र और नौकायन: मछुआरों का संकट
समुद्र का अब अपना रास्ता है। पुडुचेरी बंदरगाह ट्रस्ट ने साइक्लोन चेतावनी संकेत संख्या 2 लगा दिया — यानी 39 से 61 किमी/घंटा तक की हवाएं आने की उम्मीद। लेकिन वास्तविकता और भी खतरनाक है। PTI के अनुसार, तट पर लहरें ‘बहुत तेज’ हैं, हवाएं 40-50 किमी/घंटा हैं, और कभी-कभी 60 किमी/घंटा तक पहुंच जाती हैं।
इसका सबसे बड़ा प्रभाव मछुआरों पर पड़ा है। तमिलनाडु मत्स्य विभाग के अनुसार, 15,000 से अधिक नावें और 75,000 मछुआरे अपने घरों में फंस गए हैं। कोई भी नाव समुद्र में नहीं जा रही। ये लोग दिनभर भोजन के लिए नदियों और तालाबों पर निर्भर हैं। अब उनके लिए दो विकल्प हैं: भूखे रहना या बचाव शिविरों में जाना।
बचाव शिविर, उड़ानें रद्द, और नए आंकड़े
पुडुचेरी के प्रशासन ने 10 बजे सुबह आपातकालीन प्रोटोकॉल शुरू किया। 12 बचाव शिविर खोल दिए गए हैं — नागपट्टिनम, कुड्डलोर और कन्याकुमारी जिलों में। यहां खाना, पानी, दवाएं और बच्चों के लिए खिलौने तक तैयार हैं।
हवाई संचालन भी बंद हो गया। एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने चेन्नई-कोलंबो की सभी उड़ानें 28 नवंबर को रद्द कर दीं। विज़िबिलिटी शून्य है। एक यात्री ने बताया, "मैं श्रीलंका जाने वाला था, लेकिन हवाई अड्डे पर लोग बारिश में खड़े हैं — कोई भी नहीं जानता कि कब उड़ान शुरू होगी।"
अगले 48 घंटे: जीवन या मृत्यु का समय
IMD के निदेशक जनरल डॉ. मृत्युंजय मोहपात्रा ने कहा, "यह तूफान अभी अपनी शक्ति बढ़ा रहा है।" उनके अनुसार, 30 नवंबर की सुबह तक हवाएं 100-110 किमी/घंटा तक पहुंच सकती हैं। ये गति ऐसी है जो झुग्गी-झोपड़ियों को उड़ा सकती है, बड़े पेड़ों को उखाड़ सकती है, और सड़कों को बाढ़ में डुबो सकती है।
चारों लाल चेतावनी वाले जिलों के कलेक्टरों — आर. सतीश कुमार, के. सेंथिल कुमार, एम. अरुणाचलम और वी. थिरुनावुक्करसु — को आदेश दिया गया है कि 29 नवंबर की सुबह 6 बजे से बाढ़ के खतरे वाले क्षेत्रों से लोगों को बाहर निकाला जाए। इस बार निर्देश सख्त हैं। जो लोग बचाव शिविरों में नहीं जाएंगे, उनके लिए बचाव टीमें घर-घर जाएंगी।
इतिहास का संदेश: तीसरा तूफान, लेकिन सबसे खतरनाक
2025 का उत्तरी हिंद महासागर का चक्रवाती मौसम पहले से ही असामान्य रहा है। पहले साइक्लोन रेमल मई में आया, फिर साइक्लोन अस्ना सितंबर में। लेकिन डिटवाह अलग है। यह अभी तक का सबसे तीव्र है — 85-95 किमी/घंटा की स्थिर हवाएं, और 105 किमी/घंटा तक के झोंके। चेन्नई के डॉप्लर रडार ने यह आंकड़ा 28 नवंबर की सुबह 9 बजे दर्ज किया।
IMD के चेन्नई केंद्र के निदेशक एस. बलचंद्रन ने कहा, "हम अब बारिश के लिए नहीं, बल्कि बाढ़ के लिए तैयार हैं।"
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
स्कूल बंद होने का क्या कारण है?
तमिलनाडु सरकार ने स्कूल बंद इसलिए किया है क्योंकि साइक्लोन डिटवाह के कारण तीव्र बारिश, बाढ़ और बिजली के झटके का खतरा है। बच्चों को घरों में रखना सुरक्षित है, क्योंकि बारिश में सड़कें नहीं चलने योग्य हैं और बिजली के तार गिर सकते हैं। यह फैसला 28 नवंबर के लिए है, लेकिन अगर बारिश बढ़ी तो यह अगले दिन तक भी लागू रह सकता है।
कौन-से जिले सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे?
लाल चेतावनी वाले चार जिले — तंजावूर, तिरुवारूर, नागपट्टिनम और मयिलाडूतुराई — सबसे ज्यादा खतरे में हैं। ये कर्नाटक डेल्टा क्षेत्र हैं जहां भूमि कम ऊंची है और बारिश का पानी जमा हो जाता है। नागपट्टिनम और कुड्डलोर में बाढ़ के खतरे के कारण बचाव शिविर भी खोले गए हैं।
मछुआरे क्यों खतरे में हैं?
15,000 से अधिक नावें और 75,000 मछुआरे अपने घरों में फंसे हैं। समुद्र में लहरें 60 किमी/घंटा तक हैं, जिससे नावें उलट सकती हैं। इसके अलावा, अब तक का एक भी नौकायन नहीं हो रहा। इसका मतलब है कि अगले 7-10 दिनों तक उनकी आय बंद है — और अगर बाढ़ ने नावें या जाल नष्ट कर दिए, तो उनके लिए नया सामान खरीदना भी मुश्किल होगा।
बिजली क्यों काटी गई है?
बिजली काटने का फैसला पूर्व सावधानी के तौर पर लिया गया है। बारिश में बिजली के तार गिरने या जमीन में बिजली फैलने से लोगों की मौत हो सकती है। 2018 में तमिलनाडु में एक तूफान के बाद 17 लोग बिजली के झटके से मरे थे। इस बार अधिकारियों ने इस त्रासदी को दोहराने से बचने के लिए बिजली काट दी है।
अगली चेतावनी कब आएगी?
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने 28 नवंबर को दोपहर 2:30 बजे अगली चेतावनी जारी करने की घोषणा की है। उसके बाद 29 नवंबर को रात 11 बजे एक और अपडेट आएगा। इन अपडेट्स में तूफान की गति, भूमि पर टकराने का समय और बारिश की अनुमानित मात्रा शामिल होगी।
क्या यह तूफान पिछले तूफानों से बेहतर तरीके से प्रबंधित किया जा रहा है?
हां, इस बार प्रतिक्रिया बहुत तेज और संगठित है। नियमित चेतावनी, NDRF की तैनाती, बचाव शिविरों का तैयार होना, और बिजली काटने का पहले से फैसला — सब कुछ पिछले तूफानों के अनुभव से सीखा गया है। लेकिन अभी भी तटीय गांवों में संचार की कमी है, और कई लोग अभी भी बाढ़ के खतरे को नजरअंदाज कर रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि अब समय बचाने का है — न कि बाद में रोने का।
इस तूफान के खिलाफ सरकार की प्रतिक्रिया असल में बहुत अच्छी है। NDRF की टीमों को तैनात करना, बिजली काटना, बचाव शिविर खोलना - सब कुछ पहले से तैयारी का नाम है। इस तरह की तैयारी से ही जानें बचती हैं। अगर हम हर बार इतनी सख्ती से काम करें, तो अगले 10 साल में तूफानों से मरने वालों की संख्या आधी हो जाएगी।
ये सब बहुत अच्छा लग रहा है, लेकिन अगर हम अपने खुद के गांवों में बेहतर ड्रेनेज सिस्टम बनाते, तो इतनी बाढ़ का खतरा क्यों था? हमें सिर्फ तूफान के बाद रोना नहीं, बल्कि पहले से इंफ्रास्ट्रक्चर बनाना चाहिए।
मछुआरे बस लाचार हैं। उनकी नावें बर्बाद हो गईं, आय बंद हो गई, और अब बचाव शिविर में जाना पड़ रहा है। इन लोगों को तुरंत नकदी देनी चाहिए। नहीं तो ये लोग अगले दो महीने भूखे रहेंगे। सरकार को इस बार बहुत जल्दी एक्शन लेना चाहिए।
क्या आपने कभी सोचा है कि ये तूफान सिर्फ प्रकृति का काम नहीं है? ये वैश्विक जलवायु नियंत्रण के खेल का हिस्सा है - जो शक्तियाँ हमारे ऊपर नियंत्रण रखती हैं, वो हमें डराना चाहती हैं। हमारी आत्मा को कमजोर करने के लिए, जिससे हम अपने धर्म, अपनी भाषा, अपनी जमीन के लिए लड़ना भूल जाएँ। ये तूफान एक संदेश है - और हम उसे समझने के बजाय, बस बिजली काट रहे हैं।
बचाव शिविरों में खिलौने? बेकार की चीजें। बच्चों को खाना और गर्म कपड़े चाहिए। ये सिर्फ फोटो खींचने के लिए किया गया है।
मैंने तंजावूर से एक दोस्त को फोन किया - उनका घर बाढ़ में डूब गया है। उन्होंने कहा, "हम दो दिन से बिना बिजली के हैं, पानी भी नहीं मिल रहा।" लेकिन उनकी आवाज़ में डर नहीं, बल्कि शांति थी। इस लोगों की हिम्मत को हम भूल नहीं सकते।