11 सितंबर 2025 को, Nirdesh Agarwal सहित छत्रपुर के लगभग 16 लोगों का समूह काठमांडू, नेपाल में फँस गया, जब सोशल‑मीडिया प्रतिबंध के कारण तेज़ विरोधी दंगा छिड़ गया।
नेपाल में सोशल‑मीडिया प्रतिबंध का पृष्ठभूमि
नेपाली सरकार ने 8 सितंबर को 26 प्रमुख सोशल‑मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर प्रतिबंध लगा दिया, जिससे युवा पीढ़ी, विशेषकर Gen Z, में गहरी असंतुष्टि पनपी; इस निर्णय को भ्रष्टाचार और आर्थिक ठहराव के खिलाफ प्रदर्शन का कारण माना जा रहा है। नेपाल सरकार ने बाद में बताया कि यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में उठाया गया है, परन्तु कई देशों ने इसे निरंकुश माना।
छत्रपुर के यात्रियों की स्थिति
समूह ने पहले पोखरा में पर्यटन किया, फिर काठमांडू के होटल गंगासागर में ठहराव किया, जहाँ से उन्होंने पाशुपतिनाथ मंदिर का दर्शन करने की योजना बनाई थी। पाशुपतिनाथ मंदिर की आध्यात्मिक महत्ता को देखते हुए कई हिन्दू पर्यटक इस स्थल पर अक्सर आते हैं।
होटल में दो वाहनों से आए कुल 14 लोग – जिसमें 5 वर्ष से 7 वर्ष के पाँच छोटे बच्चे शामिल हैं – अब दो दिन से बिना पर्याप्त भोजन के जूझ रहे हैं। नर्डेश ने होटल से बाहर लॉकडाउन की स्थिति में बिस्कुट और पास वाला कुछ ही सामान पहुँचा है। उन्होंने दैनिक एमपी को भेजे वीडियो में कहा, "हम दो गाड़ियों से आए थे, कुल 14 लोग हैं, जिसमें एक से सात साल के पाँच बच्चे हैं।"
राज्य और केंद्रीय सरकार की त्वरित कार्रवाइयाँ
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस घटना पर ध्यान दिया और तुरंत संबंधित विभागों को निर्देश दिया कि वे नेपाळी अधिकारियों के साथ समन्वय स्थापित करें। उन्होंने "मैंने छत्रपुर के कुछ परिवार के सदस्यों की स्थिति देखी है, उनका सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिये कदम उठा रहे हैं" कहा।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी इस एपीडेमिक संकट की जानकारी दी गई, और उन्होंने विदेश मंत्रालय से कहा कि सभी संभव साधन उपयोग कर इन यात्रियों को जल्दी से जल्दी भारत लाया जाए।
इसी बीच भारतीय विदेश मंत्रालय ने नागरिकों को गैर‑आवश्यक यात्रा न करने, घरों में रहने और स्थानीय एम्बेसेकों से संपर्क करने की सलाह दी। विदेश मंत्रालय ने कहा कि काठमांडू हवाई अड्डा वर्तमान में बंद है, परंतु कुछ हद तक वैकल्पिक मार्ग खोले जा रहे हैं।

वर्तमान स्थिति और आगे की संभावना
नेपाली नागरिक उड्डयन प्राधिकरण ने 11 सितंबर को काठमांडू से उड़ानों की पुनः शुरुआत की घोषणा की, जिससे कई भारतीय यात्रियों को आशा की किरण मिली। हालांकि, अभी भी कई क्षेत्रों में कड़ाई से कर्फ्यू रखा गया है और सेना ने सुरक्षा में कड़ी नजर रखी है।
छत्रपुर समूह अभी भी होटल गंगासागर में ही रह रहा है और उन्होंने स्थानीय शॉपिंग सेंटरों की बंद होने की वजह से भोजन की कमी को लेकर निराशा व्यक्त की। कुछ स्वयंसेवक ने बिस्कुट और पानी पहुँचा दिया, परन्तु पर्याप्त आपूर्ति अभी तक नहीं पहुँच पाई।
बड़े परिप्रेक्ष्य में प्रभाव
दुर्भाग्यवश यह सिर्फ एक समूह की कहानी नहीं है; रिपोर्टों के अनुसार लगभग 400 से अधिक भारतीय नागरिक नेपाल में फँसे हुए हैं, जिनमें छात्र, प्रवासी कामगार और पर्यटक शामिल हैं। कई ने अपने सामान खो दिया है, कुछ ने स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना किया है। इस بحران ने भारत‑नेपाल द्विपक्षीय संबंधों में नया मोड़ दिया है और दोनों देशों के बीच आपातकालीन सहयोग के महत्व को उजागर किया है।
- समूह: 16 लोग (6 बच्चे)
- स्थिति: होटल गंगासागर, काठमांडू में फँसे
- परिणाम: 2 दिन से भोजन की कमी
- सरकारी कार्यवाही: मध्य प्रदेश CM मोहन यादव, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्रालय
- भविष्य: नेपाल की सिविल एविएशन अथॉरिटी ने उड़ानें फिर से शुरू कीं, लेकिन व्यापक कर्फ्यू जारी है
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
छत्रपुर के यात्रियों को नेपाल में क्यों फँसा?
8 सितंबर को नेपाल सरकार ने 26 सोशल‑मीडिया साइटों को बंद किया, जिससे युवाओं के बीच बड़ा विरोध शुरू हुआ। इस दंगे के कारण काठमांडू में कर्फ्यू लागू हो गया और हवाई अड्डा बंद हो गया, जिससे छत्रपुर के समूह का आवागमन बाधित हुआ।
मुख्य भारतीय अधिकारियों ने इस स्थिति पर क्या कदम उठाए?
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने state‑level समन्वय दल बनाया, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विदेश मंत्रालय को तत्काल सहायता देने का निर्देश दिया। विदेश मंत्रालय ने नागरिकों को घर में रहने और एम्बेसेक से संपर्क करने की सलाह दी।
क्या काठमांडू के हवाई अड्डे की पुनः खोलने से मदद होगी?
नेपाली सिविल एविएशन अथॉरिटी ने 11 सितंबर को उड़ानों की पुनः शुरुआत की, जिससे कई भारतीय यात्रियों को घर लाने की आशा मिली। परन्तु कर्फ्यू और बंद शॉपिंग सेंटरों के कारण भूख और आवास की समस्या अभी भी बनी हुई है।
इस घटना का भारत‑नेपाल संबंधों पर क्या असर पड़ेगा?
यह संकट दोनों देशों के बीच आपातकालीन सहयोग की आवश्यकता को उजागर करता है। दोनों सरकारों ने संवाद बढ़ाने और भविष्य में ऐसी स्थितियों से बचने के लिए कूटनीतिक उपायों पर चर्चा करने का वचन दिया है।
छत्रपुर के समूह के आगे के कदम क्या हैं?
समूह ने स्थानीय एम्बेसी को लगातार अपडेट दिया है और उम्मीद है कि अगली उड़ान में वे भारत वापस लौटेंगे। साथ ही, उन्होंने आराम‑दायक रहने की व्यवस्था और पर्याप्त भोजन की तत्काल आवश्यकता पर ज़ोर दिया है।
छत्रपुर के 16 लोग नेपाल में फँसे इसका मतलब ये नहीं कि पूरे भारत को अब ही इंटरनेशनल एलीवेटर चाहिए
सोशल‑मीडिया बंद हो गया तो असली मुद्दा यह क्यों नहीं बताया गया कि क्यों दंगों की तैयारी पहले से चल रही थी
सरकारें हमेशा जनता को समस्याओं से भली‑भाँति बेवकूफ़ बनाकर देर से जवाब देती हैं
यह घटना तो बस एक और बहाना है कि वे अपनी नीति में बदलाव की जरूरत को नजरअंदाज नहीं कर सकते
जैसे ही बच्चों को बिस्कुट मिल रहा है तो बड़े लोग फ्लाइट लाने की कोशिश में हैं
किसी को भी पता नहीं कि यह प्रतिबंध कब तक चलेगा
एक तरफ़ पक्षियों की तरह सोशल‑मीडिया पर दलीलें चल रही हैं दूसरी तरफ़ वास्तविक लोगों को भूख से जूझना पड़ रहा है
क्या यह सरकार की प्राथमिकता नहीं है कि लोगों को सुरक्षित लौटाए
नहीं तो यह स्पष्ट हो जाता है कि विदेश मंत्रालय अपने बैनर के नीचे सिर्फ कागज़ी काम करता है
जैसे ही काठमांडू से उड़ानें फिर से शुरू होती हैं तो मीडिया तुरंत ही धूम धड़क की कहानी लिखती है
पर असली मदद तो जमीन पर ही चाहिए जैसे कि पर्याप्त भोजन और साफ‑सफ़ाई
यहाँ तक कि स्थानीय होटल भी अपने दरवाज़े बंद कर रहे हैं तो फिर सरकारी कहें हम मदद करेंगे तो सवाल अभी भी खुला है
बच्चों की कड़ी भागदौड़ में अब उनके माता‑पिता को भी चिंता है
एक सरकार के रूप में यह सबसे बुनियादी मानवता को क्यों नहीं दिखाते
आशा बस यही है कि जल्द ही यह सब खत्म हो और लोग अपने घर लौट सकें