सित॰, 13 2024
सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को दी जमानत
सुप्रीम कोर्ट ने 26 जून 2024 को सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किए गए दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल को जमानत प्रदान की है। यह फैसला दिल्ली की शराब नीति से जुड़े कथित भ्रष्टाचार के मामले में आया है। केजरीवाल की गिरफ्तारी ने दिल्ली के राजनीतिक परिदृश्य में बड़ा हड़कंप मचा दिया था, जहां आप और भाजपा के बीच तनाव बढ़ गया था।
शराब नीति घोटाला: क्या है मामला?
दिल्ली की नई शराब नीति को लागू करने में कथित गड़बड़ियों को लेकर सीबीआई ने केजरीवाल पर मामला दर्ज किया था। सीबीआई का आरोप है कि इस नीति के माध्यम से कुछ खास ठेकों को फायदा पहुंचाया गया और सरकारी खजाने को नुकसान हुआ। इस घोटाले से जुड़ी जांच में अन्य आरोपी भी सम्मिलित थे, लेकिन केजरीवाल का नाम सबसे प्रमुखता के साथ आया।
सीबीआई की बड़ी गिरफ्तारी
इसके बाद, सीबीआई ने 26 जून को केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया। इसके बावजूद आप और जमानत के समर्थन में कई विरोध प्रदर्शन किए गए। केजरीवाल की गिरफ्तारी ने पार्टी और उसके समर्थकों को जुटने का एक मौका दिया, वहीं विपक्ष ने इस पर राजनीति खेलना शुरू कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट की दलीलें और फैसला
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई शुरु हुई जहां दोनों पक्षों ने अपने-अपने तर्क प्रस्तुत किए। सीबीआई के आरोपों पर केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कड़ा प्रतिवाद किया। उन्होंने अदालत को बताया कि केजरीवाल पर लगाए गए आरोप राजनीतिक रूप से प्रेरित और बेबुनियाद हैं। अदालत ने माना कि 'जमानत नियम है और जेल अपवाद'। इस तर्क के आधार पर केजरीवाल को जमानत दी गई।
राजनीतिक महौल: आप और भाजपा के बीच तनाव
इस फैसले के बाद आप ने इसे अपनी नैतिक जीत के रूप में देखा। आप के नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा उट्ठाए गए इस कदम का उद्देश्य था, केजरीवाल और उनकी सरकार को बदनाम करना। भाजपा ने इस आरोप का खंडन किया और कहा कि न्यायिक प्रक्रिया का सम्मान होना चाहिए।
दिल्ली सरकार पर असर और आम जनता की प्रतिक्रिया
केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद दिल्ली सरकार के प्रशासनिक और नीतिगत निर्णयों में देरी हो रही थी। कई महत्वपूर्ण योजनाओं और परियोजनाओं पर असर पड़ा। जनता के बीच असमंजस और नाराजगी भी बढ़ी। लेकिन अब जमानत मिलने के बाद उम्मीद की जा रही है कि केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली सरकार सुचारू रूप से कार्य करने में सक्षम होगी।
भविष्य की राह
भविष्य में केजरीवाल और उनकी पार्टी को इस मामले से सीखकर और ज्यादा सतर्क रहना होगा। साथ ही, विपक्षी दलों को भी जिम्मेदारीपूर्वक आचरण करना चाहिए ताकि लोकतंत्र कायम रहे और कानून का सम्मान हो।
इस प्रकार, सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला दिल्ली की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। अब यह देखना बाकी है कि इस फैसले का दिल्ली की नीतियों और प्रशासन पर क्या प्रभाव पड़ता है।