वर्ष 1982 की फिल्म से पहले ही महात्मा गांधी को दुनिया भर में जाना-पहचाना गया

वर्ष 1982 की फिल्म से पहले ही महात्मा गांधी को दुनिया भर में जाना-पहचाना गया

मई, 31 2024

महात्मा गांधी की अंतरराष्ट्रीय पहचान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 मई 2024 को ABP पत्रकारों से बातचीत में एक दावा किया था कि 1982 की फिल्म 'गांधी' के रिलीज़ होने से पहले दुनिया महात्मा गांधी को नहीं जानती थी। यह दावा न सिर्फ आश्चर्यजनक था बल्कि ऐतिहासिक तथ्यों से भी विपरीत है। महात्मा गांधी को 1920 के दशक से ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचाना जाने लगा था। उनके अहिंसात्मक आंदोलन और स्वतंत्रता संग्राम को लेकर दुनिया भर के समाचार पत्रों ने व्यापक रूप से उनका उल्लेख किया था।

अंतरराष्ट्रीय मीडिया की कवरेज

महात्मा गांधी के कार्यों और विचारों पर The टाइम मैगज़ीन, The न्यूयॉर्क टाइम्स, The गार्जियन और The वॉशिंगटन पोस्ट जैसे प्रमुख अंतरराष्ट्रीय समाचार पत्रों ने लगातार रिपोर्ट की थी। गांधी तीन बार The टाइम मैगज़ीन के कवर पर दिखाई दिए और उन्हें 1930 में 'मैन ऑफ द ईयर' के रूप में सम्मानित किया गया था। Gandhi के अहिंसात्मक दृष्टिकोण से प्रभावित होकर दुनियाभर के मशहूर व्यक्ति, जैसे कि चार्ल्स चैपलिन, अल्बर्ट आइंस्टीन और मार्टिन लूथर किंग जूनियर, ने उनसे मुलाकात की थी।

महात्मा गांधी के विचारों का अंतरराष्ट्रीय सीमा पर असर इतना गहरा था कि कई देशों ने उनके सम्मान में डाक टिकट भी जारी किए थे। इसके अलावा, गांधी की हत्या की खबर ने 1948 में वैश्विक मीडिया में प्रमुखता के साथ जगह बनाई थी।

मशहूर हस्तियों का प्रशंसा

गांधी के अहिंसा के संदेश को दुनिया भर के प्रमुख नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सराहा। अल्बर्ट आइंस्टीन ने गांधी के बारे में कहा, “भविष्य की पीढ़ियां शायद ही विश्वास कर पाएंगी कि हड्डी और मांस का ऐसा आदमी इस धरती पर चल सकता था।” इसी तरह, मार्टिन लूथर किंग जूनियर भी गांधी के प्रशंसक थे और उन्होंने अपने कई भाषणों में गांधी के सिद्धांतों का उल्लेख किया।

पीएम मोदी का कथन और सच्चाई

पीएम मोदी का कथन और सच्चाई

प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्ष पर यह आरोप भी लगाया कि उन्होंने राम मंदिर के उद्घाटन समारोह में हिस्सा नहीं लिया और उन्हें 'गुलामी मानसिकता' का बताया। लेकिन उनके इस बयान से यह साफ होता है कि उन्होंने महात्मा गांधी की वैश्विक पहचान और उनके द्वारा किए गए महत्वपूर्ण कार्यों को अनदेखा किया। यह दावा, जो यह बताता है कि दुनिया गांधी को 1982 की फिल्म 'गांधी' के बाद ही जानती थी, न सिर्फ ऐतिहासिक तथ्यों से परे है, बल्कि गांधी के असाधारण योगदान को भी कम करके आंका गया है।

गांधी की मृत्यु का असर

30 जनवरी 1948 को, महात्मा गांधी की हत्या की खबर जैसे ही फैली, विश्वभर के समाचार पत्रों ने इसे प्रमुखता से रिपोर्ट किया। इस घटना ने न सिर्फ भारत में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी शोक की लहर दौड़ा दी थी। यह तथ्य स्पष्ट करता है कि गांधी को वैश्विक पहचान 1982 की फिल्म 'गांधी' से कहीं पहले ही मिल चुकी थी।

महात्मा गांधी के अहिंसात्मक दृष्टिकोण और उनके महान कार्यों ने उन्हें एक ऐसी शख्सियत के रूप में स्थापित किया, जिन्हें दुनिया भर में सम्मानित किया गया और जिनके विचार आज भी प्रासंगिक हैं। प्रधानमंत्री मोदी का यह दावा कि 1982 की फिल्म से पहले दुनिया गांधी को नहीं जानती थी, न केवल इतिहास से विपरीत है बल्कि महात्मा गांधी के वैश्विक महत्ता को कम करके दर्शाने की कोशिश भी है।

16 टिप्पणियाँ

  • Fatima Al-habibi
    के द्वारा प्रकाशित किया गया Fatima Al-habibi
    10:44 पूर्वाह्न 06/ 2/2024

    1982 की फिल्म से पहले गांधी को दुनिया नहीं जानती थी? अरे भाई, ये बयान तो किसी इतिहास की किताब को बारिश में भिगोकर फेंक देने जैसा है।

  • Nisha gupta
    के द्वारा प्रकाशित किया गया Nisha gupta
    18:41 अपराह्न 06/ 2/2024

    गांधी की अहिंसा का संदेश अमेरिका के नीग्रो आंदोलन से लेकर दक्षिण अफ्रीका के नेल्सन मंडेला तक पहुंचा। एक फिल्म के बिना भी उनकी विचारधारा दुनिया को बदल चुकी थी।

  • Roshni Angom
    के द्वारा प्रकाशित किया गया Roshni Angom
    03:42 पूर्वाह्न 06/ 4/2024

    क्या हम भूल गए कि गांधी जी को 1930 में टाइम मैगजीन का 'मैन ऑफ द ईयर' चुना गया था? और फिर भी कोई कहता है कि दुनिया उन्हें नहीं जानती थी? ये तो बस इतिहास को मिटाने की कोशिश है...

  • vicky palani
    के द्वारा प्रकाशित किया गया vicky palani
    15:44 अपराह्न 06/ 4/2024

    पीएम का बयान सिर्फ गलत नहीं, बल्कि शर्मनाक है। जो इतिहास को बदलना चाहता है, वो भविष्य को बर्बाद कर रहा है। इतिहास को झूठ बोलकर नहीं, उसे समझकर आगे बढ़ना चाहिए।

  • jijo joseph
    के द्वारा प्रकाशित किया गया jijo joseph
    22:46 अपराह्न 06/ 5/2024

    ये दावा एक नैरेटिव रीकंस्ट्रक्शन का उदाहरण है-जहां जनसामान्य की जागरूकता को फिल्म के रिलीज़ के साथ असोसिएट कर दिया जा रहा है, जबकि एक वैश्विक नेता की पहचान डॉक्यूमेंटेड हिस्टोरिकल कवरेज से बनती है।

  • Manvika Gupta
    के द्वारा प्रकाशित किया गया Manvika Gupta
    13:02 अपराह्न 06/ 7/2024

    मैंने तो सोचा था कि ये बयान बस गलती है... लेकिन अब लग रहा है कि ये जानबूझकर किया गया है। दिल बहुत दुख रहा है।

  • leo kaesar
    के द्वारा प्रकाशित किया गया leo kaesar
    01:18 पूर्वाह्न 06/ 8/2024

    फिल्म ने गांधी को दुनिया के लिए नहीं, बस भारतीयों के लिए रिमाइंड किया। बाकी तो पहले से जानते थे।

  • Ajay Chauhan
    के द्वारा प्रकाशित किया गया Ajay Chauhan
    03:25 पूर्वाह्न 06/ 8/2024

    क्या ये सब जोर से बोलने का नाम है? जिसने गांधी के बारे में पढ़ा नहीं, वो बस फिल्म देखकर समझ गया। इतिहास का कोई लेना-देना नहीं।

  • Taran Arora
    के द्वारा प्रकाशित किया गया Taran Arora
    01:38 पूर्वाह्न 06/ 9/2024

    गांधी ने दुनिया को सिखाया कि बल के बिना भी बदलाव संभव है। उनकी याद आज भी जिंदा है-चाहे फिल्म हो या न हो।

  • Atul Panchal
    के द्वारा प्रकाशित किया गया Atul Panchal
    23:07 अपराह्न 06/ 9/2024

    ये फिल्म तो बस एक बाहरी निशान था। असली पहचान तो हमारे खून में थी। दुनिया जानती थी, लेकिन अब तो हमें अपनी पहचान पर गर्व है।

  • Shubh Sawant
    के द्वारा प्रकाशित किया गया Shubh Sawant
    06:27 पूर्वाह्न 06/10/2024

    अरे यार, गांधी को तो अमेरिका में भी स्कूलों में पढ़ाया जाता था। फिल्म ने तो बस उसे रंगीन बना दिया।

  • Patel Sonu
    के द्वारा प्रकाशित किया गया Patel Sonu
    00:47 पूर्वाह्न 06/12/2024

    गांधी जी के बारे में दुनिया ने जो लिखा, वो आज भी किताबों में है। फिल्म तो बस एक ब्रांडिंग थी। आप भूल गए कि गांधी जी को आइंस्टीन ने भी इतना सराहा था।

  • Puneet Khushwani
    के द्वारा प्रकाशित किया गया Puneet Khushwani
    04:00 पूर्वाह्न 06/12/2024

    फिल्म ने गांधी को नहीं बनाया। उनके काम ने बनाया। बाकी सब बस शो।

  • Adarsh Kumar
    के द्वारा प्रकाशित किया गया Adarsh Kumar
    19:52 अपराह्न 06/12/2024

    ये बयान तो किसी चुनावी रणनीति का हिस्सा है। गांधी को भूलने की कोशिश... फिर उनके नाम से नए नारे बनाने की। ये तो साजिश है।

  • Santosh Hyalij
    के द्वारा प्रकाशित किया गया Santosh Hyalij
    21:12 अपराह्न 06/12/2024

    महात्मा की वैश्विक पहचान को फिल्म के साथ जोड़ना बेकार की बात है। उनका असली विरासत तो उनके जीवन के नियमों में है-जो आज भी काम करते हैं।

  • Sri Lakshmi Narasimha band
    के द्वारा प्रकाशित किया गया Sri Lakshmi Narasimha band
    15:20 अपराह्न 06/14/2024

    गांधी जी के बारे में जो लिखा गया, वो आज भी Google पर सर्च करो... और फिर बताओ कि फिल्म की जरूरत क्यों? 😎🌍📜

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