पूर्व स्टारबक्स सीईओ लक्ष्मण नरसिम्हन की वायरल पोस्ट में काम-जीवन सन्तुलन पर जोर; नए सीईओ ब्रायन निकोल की प्रतिक्रिया

पूर्व स्टारबक्स सीईओ लक्ष्मण नरसिम्हन की वायरल पोस्ट में काम-जीवन सन्तुलन पर जोर; नए सीईओ ब्रायन निकोल की प्रतिक्रिया

अग॰, 14 2024

पूर्व स्टारबक्स सीईओ लक्ष्मण नरसिम्हन की वायरल पोस्ट

हाल ही में स्टारबक्स के पूर्व सीईओ, लक्ष्मण नरसिम्हन, ने अपनी एक सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से काम-जीवन संतुलन पर अपने व्यक्तिगत दृष्टिकोण को साझा किया है। उनकी पोस्ट ने बहुत जल्दी लोगों का ध्यान आकर्षित किया और वायरल हो गई। इस पोस्ट में नरसिम्हन ने 6 बजे के बाद काम न करने के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि काम और निजी जीवन के बीच एक स्वस्थ अनुपात बनाए रखने से न केवल उत्पादकता में वृद्धि होती है, बल्कि समग्र भलाई में भी सुधार होता है।

नरसिम्हन का यह दृष्टिकोण तेजी से पेशेवरों और विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों की सराहना पा रहा है। तेजी से बदलते और तनावपूर्ण कार्य-समाज में, यह स्थिति बहुत महत्वपूर्ण होती जा रही है। उनकी पोस्ट ने इस पर ध्यान दिया कि काम की पारंपरिक सीमाओं के बावजूद भी काम करने का यह तरीका कैसे कर्मचारियों को लाभदायक साबित हो सकता है।

नए सीईओ ब्रायन निकोल की प्रतिक्रिया

नरसिम्हन की इस पोस्ट के जवाब में स्टारबक्स के नए सीईओ, ब्रायन निकोल, ने भी अपनी राय व्यक्त की। निकोल ने काम-जीवन संतुलन के महत्व को स्वीकारते हुए यह भी कहा कि विभिन्न भूमिकाओं में लचीलापन और अनुकूलनशीलता आवश्यक है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कंपनी कर्मचारियों की भलाई को महत्व देती है और उन्हें समय प्रबंधन के आवश्यक उपकरण और संसाधन प्रदान करती है।

निकोल के इस विचार ने स्टारबक्स के कर्मचारियों को एक सकारात्मक संदेश दिया और उन्हें यह भरोसा दिलाया कि उनकी कंपनी उनकी भलाई का ध्यान रखती है। यह प्रतिक्रिया संगठन के भीतर और बाहर, दोनों जगह एक महत्वपूर्ण संदेश बन गई है।

कार्यस्थल संस्कृति में बदलाव की दिशा

कार्यस्थल संस्कृति में बदलाव की दिशा

इस संवाद ने एक व्यापक चर्चा को जन्म दिया है। आज की तेज-तरार दुनिया में, जहां हर किसी पर अधिक और बेहतर करने का दबाव होता है, काम-जीवन संतुलन की यह चर्चा समय की मांग ही बन गई है। नरसिम्हन और निकोल के विचारों का यह अदला-बदली ने उन सभी लोगों को प्रेरित किया है जो अपने काम और निजी जीवन के बीच संतुलन की तलाश में हैं।

नरसिम्हन ने अपने पोस्ट में बताया कि कैसे उन्होंने अपने सीईओ कार्यकाल के दौरान इस नीति को अपनाया और इसके फायदे देखे। उन्होंने कहा कि 6 बजे के बाद काम न करने से उन्हें अपने परिवार के साथ अधिक समय बिताने का मौका मिला और वे अपने दैनिक दिनचर्या में भी अधिक संतुलन पा सके।

इसके विपरीत, निकोल का कहना था कि हालांकि लचीलापन महत्वपूर्ण है, लेकिन कंपनी के विभिन्न विभागों में काम करने वाले कर्मचारी विभिन्न परिस्थितियों का सामना करते हैं और यह आवश्यक है कि वे अपने समय का प्रबंधन भली-भांति करें।

काम-जीवन संतुलन की दिशा में आगे बढ़ते कदम

इस प्रकार की चर्चाओं ने अनेक कंपनियों को अपने कर्मचारियों के कल्याण में सुधार के लिए नीति और रणनीतियों पर पुनर्विचार करने के लिए प्रेरित किया है। न केवल किसी व्यक्ति की उत्पादकता में सुधार होता है, बल्कि उनकी समग्र मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य भी बेहतर होती है। यह देखना महत्वपूर्ण है कि आधुनिक समय में कंपनियों द्वारा अपनाई जाने वाली नीतियाँ वास्तव में कैसे लागू होती हैं और उनके कर्मचारियों पर क्या प्रभाव पड़ता है।

कुछ उदाहरणों में, कंपनियों ने लचीले कार्य समय, काम से छुट्टी और अन्य वेलनेस प्रोग्राम्स को लागू किया है। इन कदमों ने कर्मचारियों को अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं के बीच एक स्वस्थ संतुलन बनाने में मदद की है।

इसके अलावा, ऐसी नीतियों के सफल क्रियान्वयन के लिए कंपनी के नेतृत्व का समर्थन और उनके द्वारा इसे अपनाने की प्रतिबद्धता भी आवश्यक है।

यह स्पष्ट है कि नरसिम्हन और निकोल का संवाद केवल उनके और उनकी कंपनी तक सीमित नहीं रहेगा। यह चर्चा व्यापक समाज में काम-काज के मूलभूत ढांचे पर प्रश्न उठाएगी और संभावित सुधार के रास्ते तलाशेगी।

कुल मिलाकर, यह मामला यह दर्शाता है कि कैसे एक सरल सी पहल, जैसे 6 बजे के बाद काम न करना, बड़े स्तर पर एक बड़े बदलाव की दिशा प्रशस्त कर सकती है। इस प्रकार की चर्चाएं और नीति-निर्माण का कार्य हमें एक बेहतर और अधिक स्थायी कार्य संस्कृति की दिशा में ले जा सकता है।

5 टिप्पणियाँ

  • Fatima Al-habibi
    के द्वारा प्रकाशित किया गया Fatima Al-habibi
    01:58 पूर्वाह्न 08/15/2024

    6 बजे के बाद काम नहीं? बहुत सुंदर बात है... अगर आपका बॉस भी इतना समझदार होता, तो मैं अभी तक ऑफिस में नहीं होती।

  • Nisha gupta
    के द्वारा प्रकाशित किया गया Nisha gupta
    10:47 पूर्वाह्न 08/15/2024

    काम-जीवन संतुलन का सवाल अक्सर उन लोगों के लिए बनता है जिनके पास इसे बनाने का विकल्प होता है। जब आपके पास तीन बच्चे हैं, दो जॉब्स हैं, और आपका बिल जमा हो रहा है, तो यह सिर्फ एक लक्जरी है। नरसिम्हन की नीति उनके लिए काम करती है - लेकिन इसे सबके लिए एक स्टैंडर्ड बनाने की कोशिश करना निर्मम है।

  • Roshni Angom
    के द्वारा प्रकाशित किया गया Roshni Angom
    15:03 अपराह्न 08/15/2024

    मैं तो बस इतना कहूंगी कि जब आप खुद को नहीं बचाते, तो कोई नहीं बचाएगा। लक्ष्मण ने जो किया, वो सिर्फ एक नियम नहीं, बल्कि एक जीवन दर्शन था। ब्रायन ने जो कहा, वो भी सच है - लचीलापन जरूरी है। लेकिन लचीलापन का मतलब ये नहीं कि हमें हमेशा ऑनलाइन रहना है। हमें अपने आप को बचाने का अधिकार है।

    और जो लोग ये कहते हैं कि ये सिर्फ एलिट्स के लिए है - तो वो गलत हैं। ये सबके लिए है। बस इसे शुरू करने के लिए एक छोटा सा कदम चाहिए।

    मैंने अपने घर पर एक नियम बनाया है - शाम 7 बजे के बाद लैपटॉप बंद। शुरू में लगा कि ये असंभव है। अब ये मेरी ज़िंदगी का सबसे शांत और शक्तिशाली हिस्सा है।

    हम सब जीवित रहना चाहते हैं। बस यही बात है।

  • vicky palani
    के द्वारा प्रकाशित किया गया vicky palani
    05:08 पूर्वाह्न 08/16/2024

    इतना नाटक क्यों? ये सब बस एक बड़ा बॉस अपनी लाज बचाने के लिए बोल रहा है। अगर वो वाकई इतना चिंतित होता, तो उसने कभी अपने टीम के लोगों को 11 बजे तक वॉट्सएप पर जवाब देने के लिए नहीं कहा होता। ये सब बस एक पब्लिसिटी स्टंट है। और निकोल? वो तो बस बोल रहा है कि ‘हम आपके लिए कुछ कर रहे हैं’ - लेकिन असली बदलाव तो वो खुद नहीं कर रहा।

    मैंने अपने कंपनी में देखा है - जिन्होंने 6 बजे के बाद काम नहीं किया, उन्हें प्रमोशन नहीं मिला। ये सब बस शब्दों का खेल है।

  • jijo joseph
    के द्वारा प्रकाशित किया गया jijo joseph
    13:05 अपराह्न 08/17/2024

    इस डायलॉग में एक बहुत अच्छा सिस्टम थिंकिंग दिख रहा है - एक ओर बाउंड्री बेस्ड लीडरशिप, दूसरी ओर एडाप्टिव ऑपरेशनल फ्लेक्सिबिलिटी। लेकिन अगर हम इसे एक एंटरप्राइज स्केल पर इम्प्लीमेंट करना चाहते हैं, तो हमें एक हाइब्रिड मॉडल डिज़ाइन करना होगा - जिसमें टाइम-बेस्ड रिस्ट्रिक्शंस के साथ-साथ असाइनमेंट-बेस्ड अउटकम मेजरमेंट भी शामिल हो।

    यानी, अगर आपका काम 5 बजे तक पूरा हो गया, तो आप जा सकते हैं। अगर नहीं, तो आपको एक फ्लेक्स टाइम फ्रेम मिलना चाहिए - लेकिन उसके बाद ऑफलाइन होना जरूरी है।

    इसके लिए एक डिजिटल टाइम-ट्रैकिंग सिस्टम और एक कल्चरल नॉर्म दोनों चाहिए।

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