26/11 मुंबई आतंकवादी हमला: गौतम अडानी की ताज होटल में मौत से बचने की दास्तान

26/11 मुंबई आतंकवादी हमला: गौतम अडानी की ताज होटल में मौत से बचने की दास्तान

नव॰, 27 2024

गौतम अडानी की ताज होटल में घातक मुठभेड़ से बचने की कहानी

मुंबई की धरती 26 नवंबर 2008 को उस समय आतंक के साये में आ गई जब भीषण आतंकी हमला हुआ। इस हमले ने केवल मुंबई के जनजीवन को क्षति पहुंचाई, बल्कि भारत के सबसे समृद्धि और प्रेरणादायक हस्ती गौतम अडानी को भी अपने चपेट में लिया। उनके जैसे व्यक्ति के लिए यह वो दिन था जिसे वे कभी नहीं भुला सकते, क्योंकि यह उनकी जिंदगी का सबसे खतरनाक मुठभेड़ साबित हुआ।

आतंकियों ने मुंबई की कई महत्त्वपूर्ण और जनसंख्या-आधारिक स्थानों को निशाना बनाया। ताज महल पैलेस होटल, चटपट शिवाजी महाराज टर्मिनस, ओबेरॉय ट्राईडेंट, लियोपोल्ड कैफे, तीजो अस्पताल, और नरीमन हाउस उन प्रमुख स्थानों में शामिल थे, जहां आतंकियों ने हमला किया। एक बिन बुलाए भयानक यथार्थ के सामने, गौतम अडानी ताज होटल में फंस गए थे।

ताज होटल में मौत से भागने की घटनाएं

गौतम अडानी और अन्य अतिथि उस समय होटल में थे जब आतंक के साए में बाहर मौत का नाच हो रहा था। यह अघोषित अराजकता का समय था। जब आतंकियों ने होटल में प्रवेश किया, अडानी ने समझदारी का परिचय दिया और तुरंत बेसमेंट में छिप गए। यह उनकी विवेकपूर्ण सोच और शांत मनोस्थिति का संकेत था जिसने उन्हें सुरक्षित रखा।

होटल में रह रहे लोगों को आतंकवादी बंदूकों, राइफलों और ग्रेनेड से निशाना बना रहे थे। इस दुस्साहसिक हमले के चपेट में आए कई निर्दोष लोग मारे गए। लेकिन गौतम अडानी की सोच और साहस की धारणा ने उन्हें भयावह स्थिति से बाहर निकलने में मदद की।

इस संघर्ष के दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) कमांडो ने 300 लोगों को ताज होटल से सुरक्षित बाहर निकाला। यह समय किसी युद्ध के मैदान से कम नहीं था, जहां मौत और जिंदगी के बीच भाग्य का खेल जारी था।

हमले के आगामी प्रभाव

26/11 के हमले ने न केवल मुंबई बल्कि पूरे देश को आतंकित कर दिया। इसने सुरक्षा व्यवस्था के गंभीर खामियों को उजागर किया। इसके परिणामस्वरूप राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की सुरक्षा नीति में महत्वपूर्ण बदलाव हुए। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने अपनी युद्धकला, बचाव प्रक्रियाएं और जनता से जुड़ने के तौर-तरीकों में सुधार किया। इसके साथ ही तंत्र की कुशलता बढ़ाने के लिए नए योजनाओं का आरंभ हुआ।

इस भयावहता ने यह भी दिखाया कि कैसे मजबूत नेतृत्व और एकजुटता एक राष्ट्र की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण होती है। गौतम अडानी जैसे उद्यमियों ने भी इस संघर्ष के अनुभव से सीखा और अपने संगठन में सुरक्षा प्रोटोकॉल में बदलाव किए। सुरक्षा की शुरुवात घर से होती है, इसी सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए कंपनियों ने सुरक्षा नीतियों पर ध्यान केंद्रित किया।

मीडिया और समाज

26/11 का हमला मीडिया के लिए भी एक चुनौति भरा दौर था। इस दौरान प्रस्तुत की गई खबरों ने न केवल जन-सुरक्षा के महत्व को रेखांकित किया बल्कि पत्रकारिता के धैर्य और साहस की परख भी की। मीडिया ने आतंकवाद और सुरक्षा मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

सामाजिक चेतना भी इस तरह की घटनात्मकता को रोकने और सुरक्षित जीवन सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण है। मुंबई के इस भयावह अतीत ने समाज को एकजुट होने और ऐसे सभी विद्रोही तत्वों के खिलाफ लड़ने की शक्ति दी।

इन सबके बीच, 26/11 के हमले ने जीवन के महत्व को एक नई दृष्टि से देखा। लोगों ने एक-दूसरे के प्रति सहानुभूति और एकजुटता महसूस की। इस दुखांत घटना ने यह संशोधित किया कि हम कैसे अपने आसपास के समाज और वातावरण के लिए जिम्मेदार बन सकते हैं।

10 टिप्पणियाँ

  • Patel Sonu
    के द्वारा प्रकाशित किया गया Patel Sonu
    00:27 पूर्वाह्न 11/28/2024

    गौतम अडानी का बेसमेंट में छिपना सिर्फ भागना नहीं था बल्कि स्ट्रैटेजिक रिट्रीट था। जब आतंकवादी ऑपरेशनल ज़ोन में फ्री रोमिंग कर रहे थे, तब उनकी कॉम्प्लेक्सिटी मैनेजमेंट स्किल्स ने उन्हें सेव लिया। ये जो लोग लिखते हैं कि बचना शर्म की बात है, वो नहीं जानते कि रिस्क मैनेजमेंट क्या होता है।

  • Puneet Khushwani
    के द्वारा प्रकाशित किया गया Puneet Khushwani
    13:18 अपराह्न 11/28/2024

    बस यही कहानी है? बोर हो गया।

  • Adarsh Kumar
    के द्वारा प्रकाशित किया गया Adarsh Kumar
    04:45 पूर्वाह्न 11/29/2024

    अडानी बचे तो अच्छा लगा लेकिन ये सब राष्ट्रीय सुरक्षा की फेल्योर का रिजल्ट है। जब तक एनएसजी के बाहर भी इंटेलिजेंस नहीं बेहतर होगा, तब तक ये ट्रैजेडी दोहराएगी। और हां, ये सब चीन और पाकिस्तान की साजिश है। बस लोग नहीं देख रहे।

  • Santosh Hyalij
    के द्वारा प्रकाशित किया गया Santosh Hyalij
    05:02 पूर्वाह्न 11/30/2024

    सुरक्षा नीति में बदलाव तो हुआ, लेकिन आत्म-अहंकार अभी भी बरकरार है। जो लोग अपने बचाव को नैतिक विजय बना लेते हैं, वो वास्तविक नेतृत्व को समझते नहीं।

  • Sri Lakshmi Narasimha band
    के द्वारा प्रकाशित किया गया Sri Lakshmi Narasimha band
    06:51 पूर्वाह्न 11/30/2024

    बेसमेंट में छिपना? 😮 ये तो जीवन का एक बड़ा लेसन है! शांत रहो, देखो, सुनो, फिर चलो। लाइफ है ना बस इतना सीखो! 🙏

  • Sunil Mantri
    के द्वारा प्रकाशित किया गया Sunil Mantri
    05:51 पूर्वाह्न 12/ 2/2024

    अडानी बच गए? ये तो बहुत अच्छा हुआ... लेकिन ताज होटल में जितने लोग मारे गए उनके बारे में कोई नहीं बोलता। ये सब फेम बिल्डिंग है।

  • Nidhi Singh Chauhan
    के द्वारा प्रकाशित किया गया Nidhi Singh Chauhan
    01:06 पूर्वाह्न 12/ 3/2024

    अडानी ने बेसमेंट में छिपकर जान बचाई... लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनकी कंपनी के लोगों ने उसी दिन नेटवर्क आउटेज के लिए गूगल को ब्लॉक कर दिया था? ये तो आतंकवाद का दूसरा रूप है।

  • Anjali Akolkar
    के द्वारा प्रकाशित किया गया Anjali Akolkar
    22:21 अपराह्न 12/ 4/2024

    हर जान बचना एक जीत है ❤️ उन्होंने डर को नियंत्रित किया, ये ही असली हीरो हैं। हमें भी इसी तरह रहना चाहिए।

  • sagar patare
    के द्वारा प्रकाशित किया गया sagar patare
    01:19 पूर्वाह्न 12/ 5/2024

    अडानी बच गए तो अच्छा, लेकिन ये सब फेक न्यूज है। किसी ने देखा कि वो बेसमेंट में थे? ये तो बस एक ब्रांडिंग ट्रिक है।

  • Patel Sonu
    के द्वारा प्रकाशित किया गया Patel Sonu
    02:26 पूर्वाह्न 12/ 5/2024

    ये तो बस बकवास है। ताज होटल के सुरक्षा फुटेज अभी तक ऑनलाइन हैं। एनएसजी के रिपोर्ट्स में भी लिखा है कि वो बेसमेंट में छिपे थे। तुम्हारी इन्फोर्मेशन लेक्स और इमोशनल रिएक्शन बहुत ज्यादा है। डेटा देखो, फिर बोलो।

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