ईद उल-अजहा 2024: बकरीद की हार्दिक शुभकामनाएं, ग्रीटिंग्स, कोट्स, इमेजेज़, फेसबुक और व्हाट्सएप स्टेटस

ईद उल-अजहा 2024: बकरीद की हार्दिक शुभकामनाएं, ग्रीटिंग्स, कोट्स, इमेजेज़, फेसबुक और व्हाट्सएप स्टेटस

जून, 17 2024

ईद उल-अजहा: बलिदान और आस्था का पर्व

ईद उल-अजहा, जिसे आमतौर पर बकरीद के नाम से भी जाना जाता है, इस्लाम के दो प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह पर्व हर साल इस्लामी कैलेंडर के अनुसार 10वीं जु•ल-हिज्जा को मनाया जाता है और इस साल यह तारीख सोमवार, 17 जून, 2024 को पड़ रही है। यह त्योहार पैगंबर इब्राहिम (अलैहिस्सलाम) की अल्लाह के प्रति निःस्वार्थ भक्ति और बलिदान की स्मृति में मनाया जाता है।

बकरीद का महत्व और इतिहास

ईद उल-अजहा का इतिहास पैगंबर इब्राहिम (अलैहिस्सलाम) से जुड़ा है। कहा जाता है कि अल्लाह ने उनकी परीक्षा लेने के लिए उनसे अपने प्रिय पुत्र को बलिदान करने का आदेश दिया था। अपने अल्लाह के आदेश का पालन करते हुए, उन्होंने अपने पुत्र इश्माइल को बलिदान करने के लिए तैयार हो गए, परंतु अल्लाह ने एक मेमने को भेजकर इश्माइल को बचा लिया। यह घटना धार्मिक और आस्थावान मुसलमानों के लिए बलिदान, भक्ति और अल्लाह पर विश्वास की प्रतिक है।

आज, इस दिन मुस्लिम समुदाय के लोग बलिदान करते हैं, जिसमें एक स्वस्थ जानवर (जैसे बकरी, भेड़, गाय) की कुर्बानी दी जाती है। इस बलिदान का मांस तीन भागों में विभाजित किया जाता है - एक हिस्सा परिवार के लिए, दूसरा हिस्सा दोस्तों और रिश्तेदारों के लिए और तीसरा हिस्सा गरीबों और ज़रूरतमंदों के लिए।

ईद उल-अजहा की तैयारी

हर साल, मुस्लिम समुदाय के लोग इस पर्व की तैयारी में जुट जाते हैं। त्योहार की शुरूआत साफ-साफ सफाई, अपने घरों की सजावट और नई कपड़ों की खरीदारी से होती है। मस्जिदों में विशेष नमाज अदा की जाती है, जहां पर मुसलमान एक साथ मिलकर सुबह की नमाज पढ़ते हैं और अल्लाह से दुआएं मांगते हैं।

त्योहार के दिन मस्जिद में इमाम की तकरीर के बाद जानवरों की कुर्बानी की जाती है। कुर्बानी का मांस, जैसा कि पहले बताया गया, जरूरतमंदों में बांटा जाता है। यह कार्य उनकी धार्मिक शिक्षाओं का एक हिस्सा है, जो समाज में भाईचारे और मानवता का संदेश देता है।

शुभकामनाएं और संदेश

ईद उल-अजहा के मौके पर अपने प्रियजनों को शुभकामनाएं देने की परंपरा है। यहां पर हमने कुछ शुभकामनाओं और संदेशों को संकलित किया है जिन्हें आप सोशल मीडिया प्लेटफार्म जैसे कि फेसबुक, व्हाट्सएप आदि पर शेयर कर सकते हैं:

  • ईद मुबारक! अल्लाह आपके जीवन में शांति, समृद्धि और खुशी लाए।
  • ईद उल-अजहा की शुभकामनाएं! आपके और आपके परिवार के लिए सुखमय और समृद्ध जीवन की कामना करते हैं।
  • इस पवित्र दिन पर, अल्लाह आपके जीवन को भरपूर खुशियों और अनगिनत नेमतों से भर दे। ईद मुबारक!
  • आपके बलिदान और भक्ति को अल्लाह स्वीकार करें और आपको असली खुशियां दे। ईद उल-अजहा मुबारक!

शेयर करने के लिए छवियाँ

त्योहारों का जश्न बिना फोटो और इमेजेज़ के अधूरा सा लगता है। यहां पर कुछ इमेजेज़ हैं जिन्हें आप व्हाट्सएप और फेसबुक पर अपने स्टेटस और पोस्ट में साझा कर सकते हैं:

  • मुस्कुराते चेहरे के साथ परिवार की फोटो: एक साथ त्योहार का आनंद लेते हुए।
  • कुर्बानी से जुड़ी धार्मिक छवियाँ: मस्जिद में नमाज अदा करते हुए, दान देते हुए।
  • त्योहार के पारंपरिक खाने की तस्वीरें: बिरयानी, कबाब आदि।
  • सजावट और पूजा की तस्वीरें: घर की सजावट, रोशनी, इत्यादि।

ईद उल-अजहा पर विचार और कृतज्ञता

इस पवित्र पर्व का महत्व केवल धार्मिक नहीं, बल्कि समाज में भाईचारे, दानशीलता, और मानवता का संदेश देना भी है। यह त्योहार हमें सिखाता है कि अपने जीवन में बलिदान करना कितना महत्वपूर्ण है और दूसरों की मदद करना भी हमारी जिम्मेदारी है।

इस समय में, हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हमारे आस-पास कई ऐसे लोग हैं जिन्हें हमारी मदद की जरूरत है। इस बकरीद, जरूरतमंदों को मदद करने के साथ-साथ एकता और भाईचारे का संदेश फैलाएं। अल्लाह हमें और हमारे परिवारों को अपने सीरे में रखें। ईद उल-अजहा मुबारक!

7 टिप्पणियाँ

  • Parmar Nilesh
    के द्वारा प्रकाशित किया गया Parmar Nilesh
    23:13 अपराह्न 06/18/2024

    ईद उल-अजहा का मतलब सिर्फ बकरी काटने का नहीं है भाई... ये तो एक अद्भुत सामाजिक न्याय का प्रतीक है। गरीबों को मांस देना, जो शायद सालभर में एक बार ही खाते हैं, ये इस्लाम की असली शक्ति है। दुनिया के किसी भी धर्म में ऐसा कोई नहीं जो इतना बड़ा सामाजिक इंसाफ देता हो। हमारे लोगों को इस बात का गर्व होना चाहिए।

  • Arman Ebrahimpour
    के द्वारा प्रकाशित किया गया Arman Ebrahimpour
    21:21 अपराह्न 06/20/2024

    बकरीद पर सब रोटी काट रहे हैं लेकिन कौन जानता है कि ये सब एक बड़ा बाजारी षड्यंत्र है जिसमें मस्जिदें और वक्फ बोर्ड लाखों रुपये कमा रहे हैं... बकरी की कीमतें बढ़ गई हैं लेकिन गरीबों को कुछ नहीं मिला... ये सब धर्म के नाम पर धोखा है... अल्लाह को तो खुदा ही जानता है और वो जानता है कि हमारे दिल में क्या है... लेकिन ये बकरी की बाजारी वाली खेल तो बहुत बुरा है... ये सब बाहरी दिखावा है...

  • SRI KANDI
    के द्वारा प्रकाशित किया गया SRI KANDI
    11:49 पूर्वाह्न 06/21/2024

    मैं नहीं कहती कि ये त्योहार गलत है... बस ये सोचती हूँ कि अगर कोई गरीब है और उसके पास बकरी भी नहीं है... तो वो भी क्या बेचारा बलिदान करेगा... क्या इसकी जगह कोई दान नहीं हो सकता... जैसे खाना या पैसा... जिससे उसकी जिंदगी बदल जाए... बस इतना सोचती हूँ... बिना किसी जजमेंट के...

  • Ananth SePi
    के द्वारा प्रकाशित किया गया Ananth SePi
    15:41 अपराह्न 06/22/2024

    देखो ये ईद उल-अजहा तो बस एक अद्भुत सांस्कृतिक और आध्यात्मिक फेस्टिवल नहीं है... ये तो एक जीवंत समाज का एक जीवंत दिल है... जो बलिदान के बारे में बात करता है... लेकिन उसका अर्थ है कि हम अपने लालच को भी बलिदान करें... अपने अहंकार को भी... अपने जुल्म को भी... ये त्योहार तब असली होता है जब हम अपने घर के बाहर भी दया दिखाएं... जब हम अपने दोस्त के लिए भी बलिदान करें... जब हम अपने गाँव के लिए भी खुश रहें... ये तो एक जीवन जीने का तरीका है... न कि सिर्फ एक दिन का रिवाज... इसलिए दोस्तों... इस ईद को सिर्फ बकरी के लिए नहीं... अपने अंदर के बलिदान के लिए मनाएं...

  • Gayatri Ganoo
    के द्वारा प्रकाशित किया गया Gayatri Ganoo
    10:17 पूर्वाह्न 06/23/2024

    मैंने देखा एक वीडियो में एक आदमी ने बकरी को बेचकर पैसा लिया और उसके बाद अपने बच्चे को बर्गर खिलाया... ये तो बकरीद का मजाक है... ये धर्म की नहीं बल्कि गरीबी की बात है... और फिर लोग सोशल मीडिया पर फोटो डालते हैं और कहते हैं ईद मुबारक... बस दिखावा है... कोई नहीं सोचता कि वो बकरी किसने खरीदी थी... किसकी जिंदगी बर्बाद हुई...

  • harshita sondhiya
    के द्वारा प्रकाशित किया गया harshita sondhiya
    17:57 अपराह्न 06/23/2024

    ये बकरीद का धोखा अब बहुत बढ़ गया है... जो लोग बकरी काटते हैं वो खुद अपने बच्चों को दूध नहीं पिला पाते... और फिर गरीबों को बांटने की बात करते हैं... ये तो बहुत बदमाशी है... अल्लाह के नाम पर बेइंसाफी करना... मैं तो इस त्योहार को बहुत नापसंद करती हूँ... ये तो एक बड़ा धार्मिक अपराध है...

  • Balakrishnan Parasuraman
    के द्वारा प्रकाशित किया गया Balakrishnan Parasuraman
    01:01 पूर्वाह्न 06/25/2024

    ईद उल-अजहा का असली अर्थ बलिदान है... और बलिदान का अर्थ है अपने स्वार्थ को त्यागना... यहाँ तक कि अपने जीवन को भी... जैसा कि पैगंबर इब्राहिम (अलैहिस्सलाम) ने किया... यह त्योहार केवल एक जानवर की कुर्बानी नहीं है... यह एक अनंत शिक्षा है... जो हमें याद दिलाती है कि अल्लाह के लिए जो कुछ भी देना हो... वह अपने जीवन के सबसे अनमोल चीज़ों को भी देने के लिए तैयार होना चाहिए... इसलिए इस ईद को गहराई से समझें... और इसकी वास्तविकता को अपने जीवन में उतारें... ईद मुबारक...

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